पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता,
तो मासूमियत भी आज दुकानों पर बिकती...
लोग तो खरीद भी लेते...
लेकिन तब दिल के जज़्बातों की कोई कीमत नहीं होती....-
Sandeep Kothar
(संदीप कोठार)
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मेरी मोहब्बत मेरी कलम हैं।
दोस्तों, मैं पेशे से एक सरकारी कर्मचारी हूँ, और १७ वर्षों से समा... read more
दोस्तों, मैं पेशे से एक सरकारी कर्मचारी हूँ, और १७ वर्षों से समा... read more
Joined 28 January 2020
8 JAN 2023 AT 2:04
7 JAN 2023 AT 3:04
प्यार की मंजिल अक्सर दोस्ती की कुर्बानी क्यों मांगती है..
ऐसा नहीं है कि प्यार में दोस्ती नहीं होती...
लेकिन दोस्ती के बिना कभी प्यार भी नहीं होता।।-
5 JAN 2023 AT 1:28
साल तो पुराना भी ठीक था...
लेकिन लोग सिर्फ जश्न मनाने का बहाना ढूंढते हैं।-
8 NOV 2022 AT 13:16
ख़्वाब...
ख़्वाब अक्सर नींद में आते हैं...
उन्हें हकीकत में बदलना है तो जागना होगा...-
10 SEP 2022 AT 23:58
गद्दार कभी उजाले में नज़र नहीं आता..
अँधेरे में उसे पहचानने का हुनर चाहिए..!-
26 JUN 2022 AT 1:41
दोस्तों, एक लम्बे इंतज़ार के बाद अब मेरी कुछ कविताएँ एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने जा रही हैं।
पुस्तक का शीर्षक है
परदा-