sandeep kitabi   (संदीप क़िताबी)
146 Followers · 143 Following

read more
Joined 18 December 2018


read more
Joined 18 December 2018
30 MINUTES AGO

तुम्हारे हुस्न के साथ चमकती झीलें गालों की!
चुभती हैं कीलों सी क्यों दूर हूँ पास होकर भी,
लगता है थाम लूँ कमर भींच लूँ लवों तक अपने,
कहती हैं शरारतें क्यों दूर हूँ साथ होकर भी, 🫠

-


18 HOURS AGO

तुमसे मिलने की ख़ातिर हमने पर्ची चार बनाईं,
एक में लिखी हैं बातें सारी बाक़ी में तस्वीर बनाई,
मिलो कहूँ तब चाहत अपनी बोलो तुमसे कह डालूँ,
ख़ाली दिल का रखा है कमरा झाड़ू वाली भी न आज बुलाई,
🫠❤️🫠

-


13 SEP AT 17:06

कोशिशें

हर बार सुबह उठ कर देखा, सूरज को पूरब से आते,
तन्हा होता है गर्मी में जो, सर्दी में मस्त मगन लहराते,
कभी कभी समंदर की लहरें जो गहरे चिंतन में उठ जाती हैं ऊपर,
जीवन जीना सीख जाती हैं सूरज को अकेले देख मुस्काते,

-


9 SEP AT 14:32

तुम उन सबसे हसीं हो वर्तमान में,
जिन सबसे मैं सीधे बात कर पा रहा हूँ,
सो लगता है कह दूँ अपनी हर बात तुमसे,
जो तुम्हें देख कह देने को सोच रहा हूँ,
ये बात जज्बातों से भरे ख्वाबों की है,
तुम हो स्पर्श का सुकूँ मैं सच लिख रहा हूँ ❤️

-


9 SEP AT 10:37

तुम्हारे स्पर्श से मोम पिघल न जाए
तुम्हें देख कहीं चाँद जल न जाए ✍️
तुम थाम लो मेरी साँसों को भीगी उँगलियों से,
ज़ुल्फ़ों की आड़ में लगी आग कहीं बुझ न जाए ❤️

-


2 SEP AT 18:41

कई बार जहाँ कुछ अपना लगता है वहाँ अपना होता नहीं है,
जैसे साँसें जिनके पीछे शरीर भागता तो है पर वो उसकी होती नहीं हैं,

-


22 AUG AT 15:43

ये हंसों का सबेरा तुम्हें अंधेरों से उबार लाए,
रोशन करता सूरज तुम्हें किनारे पर उतार लाए,🫠
पूरी करो यात्रा अपने मन की ख्वाबों के साथ,
ख़ुश रहो मस्त रहो जीवन तुम्हारा जग सुधार लाए 😂

-


21 AUG AT 12:14

घर से तपना शुरू हैं करते
जंगल जंगल त्याग ही त्याग है,
शौक शरारतें दुनिया की हैं,
फौजी के हिस्से में आग ही आग है,
✍️🇮🇳✍️

-


20 AUG AT 17:27

कितना जज़्बाती लिखते हो न तुम कृष्णा!
कभी शब्दों से स्पर्श कर लेते हो तो कभी सिखाते हो ज़िन्दगी,
कभी हमारी आदतें लिखते हो तो कभी ग़म की लहरें,
कभी कभी तो लगता है तुम ठरकी हो 🫢
कभी लगता है हद से ज़्यादा संजीदा,
जो जीवन के हर भाव पकड़ लेता है बहुत आसानी से,
उतनी आसानी से जैसे
गहरी भावनाओं से निकलना तुम्हें खेल सा लगता हो…✍️

-


20 AUG AT 9:04

तुम्हें थाम लूँ बाहों में नशा स्पर्श का करूँ,
निहारूँ नज़दीक आकर बातें साँसों से करूँ,
खोलना आँखें और जज्बातों को रोकना आहिस्ता से,
तुम मुझे और मैं तुम्हें प्रेम अपना समर्पित करूँ,
❤️😊✍️

-


Fetching sandeep kitabi Quotes