sandeep kitabi   (संदीप क़िताबी)
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Joined 18 December 2018


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Joined 18 December 2018
YESTERDAY AT 19:22

माँ की ममता से सजी हुई तस्वीर तुम्हारी,
आँखों में है प्यार और सादगी तुम्हारी,❤️
आभार करूँ ईश्वर और उन रिश्तों का,
जिन्होंने अपने आशीषों से सजाई है जोड़ी हमारी,☺️

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16 JUL AT 7:53

यूँ बैठ मुझे निहार तुम थाम लेती हो,
अपने प्रेम के आँचल से मुझे बाँध लेती हो,☺️
तुम्हारी ख़ुश्बू घेरती है जब मुझे सावन में,
वर्ष गुज़र जाती है कुछ यूँ हुस्न से साध लेती हो,❤️

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7 JUL AT 8:42

कल चिंतित था जगह बदलने से,
आज मन लग गया नए शहर की नज़रों से,
कल न जाने क्या होगा दिल की चाहत को,
मैं तो ख़ुद परेशान हूँ अपने ही बदलते पहरों से,

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6 JUL AT 21:11

सैनिकों का जीवन कितना भिन्न है न सिविल जिंदगी से!
दिन भर की थकान उलझन और फिर रात की अकेली नींद,
माँ हो या पत्नी कौन जान पाए तुम्हारे चेहरे का रुदन,
न चाहकर भी सब अच्छा है मुस्कुराकर बताना पड़ता है,
😊✍️❤️

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4 JUL AT 23:50

एक उँजरी भर आँसुओं की धार निकलने के बाद,
एक सुकून की लंबी सांस बैठती है फेफड़ों में,
यदि तुम आँसुओं के सोंधे स्वाद को पसंद नहीं कर सकते!
यकीन मानों लंबी गहरी नींद तुम्हारे हिस्से आएगी ही नहीं,

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4 JUL AT 23:22

दुःखों के पास सुखों की टोकरियाँ होती हैं,
तुम्हें उजाले चाहिए तो अंधेरों संग जागना तो पड़ेगा,

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3 JUL AT 11:18

समझ पाया हूँ ….❤️

आँसू भी शीतल होते हैं,
आँखें जब गले लगाती हैं,
टूटे दिल भी खिल उठते हैं,
जब साँसें साथ निभाती हैं, ❤️

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2 JUL AT 21:30

कलाई पकड़ के कहता है धागा, बहना तुम्हें याद आती है क्या ?
जिसने तुम्हें दी पहली अजादी फ़िकर उसकी तुमको भी होती है क्या ?

वो जूते पहनाना बचपन में,
बालों को सजाना आँगन में,
वो बस्ता लगाना याद है तुम्हें,
झूला भी झुलाना सावन में ?
सुलाती थी तुमको जो लोरी सुना,
क्या उसकी नींद को पूछा तूने ?
कलाई पकड़ के कहता है धागा, बहना तुम्हें याद आती है क्या ?
जिसने तुम्हें दी पहली अजादी फ़िकर उसकी तुमको भी होती है क्या ?

वो ख़त नौकरी का आया था जब,
ख़ुशी भी उसी को पहली हुई थी,
तुम जब गए थे विदा हो घर से,
घर में अकेली वही तो हुई थी,
रश्में विवाह की शुरू उसकी हो गईं,
फूटकर उसका रोना क्या याद है तुम्हें ?
कलाई पकड़ के कहता है धागा, बहना तुम्हें याद आती है क्या ?
जिसने तुम्हें दी पहली अजादी फ़िकर उसकी तुमको भी होती है क्या ?

अब वो घिरी है वफ़ाओं से अपनी,
तुम्हें याद करती दुआओं में अपनी,
कहीं तुम भूल तो गए तो नहीं हो,
सवालों से डरती है यादों में अपनी,
सुनो न भेज दो कुछ तुम प्रेम का,
तस्वीरें यादों की या बचपने की ,
जो उसको कहे जाके भाई हैं अपने,
कुछ भी न होगा सुरक्षा है उनकी,
कलाई पकड़ के कहता है धागा, बहना तुम्हें याद आती है क्या ?
जिसने तुम्हें दी पहली अजादी फ़िकर उसकी तुमको भी होती है क्या ?

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30 JUN AT 19:46

तुम्हारी आँखों से छलकते आँसुओं में तस्वीर हमारी दिखाई दी है,
आते हैं बाबा सब्र रखो थोड़ा कश्मीर ने सर्दी की एक सॉल दी है,
पता है! हो गया महीने का जोड़ा हमारे ब्याह के जीवन का ☺️❤️
हँसो मुस्कुराओ देखो तो हमने पश्मीना की साड़ी लाल ली है,

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29 JUN AT 19:48

मेरी कठोर उँगलियाँ तुम्हारी कोमल त्वचा से पिघल जाती हैं,
मेरे दिन की बेचैनियाँ तुम्हारी शाम से मिल सो जाती हैं,
क्या तुम्हें शिकायत नहीं नरम के हिस्से कठोर पुरुष आया ?
मेरी परेशानियाँ तुम्हारी एक मुस्कुराहट देख बिखर जाती हैं,
❤️✍️❤️

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