तुम्हारे हुस्न के साथ चमकती झीलें गालों की!
चुभती हैं कीलों सी क्यों दूर हूँ पास होकर भी,
लगता है थाम लूँ कमर भींच लूँ लवों तक अपने,
कहती हैं शरारतें क्यों दूर हूँ साथ होकर भी, 🫠-
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आप मेरी 20... read more
तुमसे मिलने की ख़ातिर हमने पर्ची चार बनाईं,
एक में लिखी हैं बातें सारी बाक़ी में तस्वीर बनाई,
मिलो कहूँ तब चाहत अपनी बोलो तुमसे कह डालूँ,
ख़ाली दिल का रखा है कमरा झाड़ू वाली भी न आज बुलाई,
🫠❤️🫠-
कोशिशें
हर बार सुबह उठ कर देखा, सूरज को पूरब से आते,
तन्हा होता है गर्मी में जो, सर्दी में मस्त मगन लहराते,
कभी कभी समंदर की लहरें जो गहरे चिंतन में उठ जाती हैं ऊपर,
जीवन जीना सीख जाती हैं सूरज को अकेले देख मुस्काते,
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तुम उन सबसे हसीं हो वर्तमान में,
जिन सबसे मैं सीधे बात कर पा रहा हूँ,
सो लगता है कह दूँ अपनी हर बात तुमसे,
जो तुम्हें देख कह देने को सोच रहा हूँ,
ये बात जज्बातों से भरे ख्वाबों की है,
तुम हो स्पर्श का सुकूँ मैं सच लिख रहा हूँ ❤️-
तुम्हारे स्पर्श से मोम पिघल न जाए
तुम्हें देख कहीं चाँद जल न जाए ✍️
तुम थाम लो मेरी साँसों को भीगी उँगलियों से,
ज़ुल्फ़ों की आड़ में लगी आग कहीं बुझ न जाए ❤️-
कई बार जहाँ कुछ अपना लगता है वहाँ अपना होता नहीं है,
जैसे साँसें जिनके पीछे शरीर भागता तो है पर वो उसकी होती नहीं हैं,
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ये हंसों का सबेरा तुम्हें अंधेरों से उबार लाए,
रोशन करता सूरज तुम्हें किनारे पर उतार लाए,🫠
पूरी करो यात्रा अपने मन की ख्वाबों के साथ,
ख़ुश रहो मस्त रहो जीवन तुम्हारा जग सुधार लाए 😂-
घर से तपना शुरू हैं करते
जंगल जंगल त्याग ही त्याग है,
शौक शरारतें दुनिया की हैं,
फौजी के हिस्से में आग ही आग है,
✍️🇮🇳✍️-
कितना जज़्बाती लिखते हो न तुम कृष्णा!
कभी शब्दों से स्पर्श कर लेते हो तो कभी सिखाते हो ज़िन्दगी,
कभी हमारी आदतें लिखते हो तो कभी ग़म की लहरें,
कभी कभी तो लगता है तुम ठरकी हो 🫢
कभी लगता है हद से ज़्यादा संजीदा,
जो जीवन के हर भाव पकड़ लेता है बहुत आसानी से,
उतनी आसानी से जैसे
गहरी भावनाओं से निकलना तुम्हें खेल सा लगता हो…✍️-
तुम्हें थाम लूँ बाहों में नशा स्पर्श का करूँ,
निहारूँ नज़दीक आकर बातें साँसों से करूँ,
खोलना आँखें और जज्बातों को रोकना आहिस्ता से,
तुम मुझे और मैं तुम्हें प्रेम अपना समर्पित करूँ,
❤️😊✍️-