"रात के दरिया का किनारा भी कभी आएगा, वक्त का क्या है हमारा भी कभी आएगा, मेरे हिस्से में कभी आया था अच्छा कोई दिन, पूछना था कि दोबारा भी कभी आएगा...!!"
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"कभी भी उसको नजरंदाज न करो जो तुम्हारी परवाह करता हो, वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा की पत्थर जमा करते करते तुमने हीरा गवा दिया...!"
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ज़िद पर आ जाऊं तो मुड़ के भी ना देखूं
अभी मेरे सब्र से आप वाकिफ ही कहा हो।-
आसमां की चाहत में जमीं को ठुकरा रहे हो, पंख जो मिले है नए नए तो बड़ा इतरा रहे हो,
थक जाओगे तुम जब तो बोलो बैठोगे कहाँ, अभी खुमार है नया तो इतना लहरा रहे हो,
गमों का दौर है और मायूसी है हर तरफ, हाल है संजीदा और तुम मुस्करा रहे हो,
हम से तोड़ा ना गया मिट्टी का खिलौना भी, और तुम तोड़ के दिलों को दिल बहला रहे हो,
हमने देखे है दो चार सावन ज्यादा तुमसे और तुम हम को मोहब्बत समझा रहे हो,-
एक वक्त गुजरा हैं, एक गुजारना बाकी है,
कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है...!
हर मुश्किल के बाद,एक राह निकलना बाकी है,
मंज़िल से दूर हैं, मगर पास आना बाकी है...!
जिंदगी के पन्नों पर, कुछ लिखना बाकी है,
हर एक कहानी का, अंत बताना बाकी है...!
हर ग़म की रात में, एक सवेरा लाना बाकी है,
दर्द को भुलाकर, खुशियों को गले लगाना बाकी है...!
एक वक्त गुजरा हैं, एक गुजारना बाकी है,
कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है...!-
परवाह न कर, तमाशे होते रहेंगे ताउम्र, तू ये ख्याल रख कि किरदार बेदाग रहे..🥀
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जो अच्छा लगता है वो हर हाल में अच्छा ही लगता है और जो अच्छा नहीं लगता वो चाहे माथे पर चाँद भी सज़ा के आ जाये, कोई फर्क नहीं पड़ता !❣️
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श्रीकृष्ण कहते हैं कि
मनुष्य को वस्त्र बदलने की आवश्यकता नहीं है। आवश्यकता हृदय परिवर्तन की है।-
मुझे कभी भी यह गलतफहमी नहीं हुई कि
कोई मुझे खोकर पछतायेगा...
पता है क्यों..?
क्योंकि लोगों को लोग मिल ही जाते हैं
कभी बत्तर से बत्तर....
कभी बेहतर से बेहतरीन....
पर मुझे तुम्हारे सिवा कभी किसी का
खास बनकर रहने का दिल नहीं हुआ......
जानते हो क्यों..?
क्योंकि खास के बाद खाक मिलती है इसलिए
आम रहना अच्छा लगता है....-
मैं पूर्ण न कर सकूं तुम्हारी अपेक्षाएं तो निः संकोच विदा लेना मुझसे,
मुझे दूरियां दरारों से बेहतर लगती हैं-