आजकल बहुत मुस्कुरा रही हो,
निपट अकेली हो क्या ।
डरावनी होती जा रही,
कोई पुरानी हवेली हो क्या।
उलझती जा रही हो,
कठिन पहेली हो क्या।
सुलझे हुए को उलझा रही,
कहीं कुछ भूली हुई हो क्या ।
बहाने बनाना भी सीख गई,
कोई नई सहेली से मिली हो क्या।
तुम रंग भरती हो जिंदगी में,
दिवाली की रंगोली हो क्या ।
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