Sandeep Jangra   (दीप ✒)
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Joined 27 October 2017


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Joined 27 October 2017
11 JAN AT 0:33

चलो उसे नजरअंदाज करने की
कोशिश करते हैं,,

उसे भी पता चले कि ये तौर तरीके कैसे लगते हैं,,

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4 JAN AT 14:27

अखरती होगी उसे भी ये सर्द स्याह रातें,,
उसने भी कुछ अपना सा खोया होगा,,
रहता होगा उसे मलाल किसी के दूर जाने का ,,
उसने भी तो अपना रुमाल भिगोया होगा,,
ये वहम भी अच्छा है दीप तेरा ,,
जनाजा उठने के बाद कोई कहां रोया होगा।

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3 JAN AT 8:39

रह जाने दे आधा अधूरा ,,
’इश्क’, ’प्यार’ कहां खुद पूरे है ??..

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3 JAN AT 4:04

ये दीवारें चुप क्यूं है?
ये मकान बंद क्यूं है?
दीप, तेरा जनाजा ही तो है,
ये पूरा शहर श्मशान क्यूं है??

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1 JAN AT 22:20

ख्वाहिशों को ताला लगाकर बंद हो जाना चाहता हूं,
बीत चुका हूं मैं वक्त सा,, रुक कर खत्म हो जाना चाहता हूँ।

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1 JAN AT 0:27

ख्वाहिशों को ताला लगाकर बंद हो जाना चाहता हूं,
बीत चुका हूं मैं वक्त सा,, रुक कर खत्म हो जाना चाहता हूँ।

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31 DEC 2024 AT 23:37

दीप आखिरी हद तक इंतजार रहेगा ,,
हद तलक न गया तो मलाल रहेगा,,
मेरा होगा तो मिला देगा खुदा मुझसे,,
वरना एकतरफा इश्क का गुमान तो रहेगा।।

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31 DEC 2024 AT 23:29

बैठक की सेज आज भी सजी है ,,
तुम आओ तो सही –चाय की खुशबू भी वही है ,,
बसा हुआ है हर एक पल ज़ेहन में ,दीप ,,
हर कोने से तस्वीर तेरी सोच रखी है।

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6 DEC 2024 AT 3:14

इक आस इक विश्वास है तू मेरा ,,
देख सकूं — वो आईना है तू मेरा,,
जब भी मुरझाता है ,,,, ये फूल ,,
दीप —इक बहार सा है यार मेरा ,,

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23 NOV 2024 AT 0:34

इश्क को अधूरा बताते सुना था जमाने को,,
मैने एक ”दोस्ती" को भी अधूरा देखा है,,
सुना है —दर्द होता होगा इश्क बिछड़ने में ,,
यहां दोस्ती में बिलखता खुदाया मन देखा है।

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