ना जाने तुमसे कितनी बार क़ी कई बार मीन्नते हजार,पर तुमने हमे सुना कहा।
फिर भी चलता हूँ तुम्हारे दिए गए रास्ते पे बस गिला हैँ के हमे मिलती नहीं ईमान और सच्चाई की बाते कहा।
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वक्त की रप्तार से कोई जीत ना सका पर हमारी ये कोशिश जरूर होनी चाहिये की,जीत् हमारि वक्त के पहले हो।
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तुम्हें चाहना मेरे मन का कहना था सो तुम्हे चाह लिया बस लोगों ने हमे बदनाम कर दिया।
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हम राह जो चुन् लिये थे वो गलत् इरादे से नही थी,लोग तो न जाने क्या समज बैठे। हम बदनाम हुए इसका हमे कोई गम नहीं वो तो खामोखाम् बातों का बतंगड़ बना बैठे।
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जीवन अनमोल हैँ,यदि आप इसे सरलतासे जीते हो, तो यह तय हैँ हर एक राह आसान होगी।
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यह समाज हि है,हम्हें उठ जाने से मना करता हैँ।और यदि हम बैठ भी जाते हैँ, तो,हम्हे बैठ जाने से मना करता हैँ।
मत सोचो समाज क्या कहेंगा बल्कि यह सोचो तुम्हारा मन क्या कहता हैँ।-
तुम्हें चोरी से देखते हैँ, बड़ा गुस्ताख़ दिल हैँ।
ए चांद तुम फलक पे तो आ जरा तुझे जी भर के देखलु।-
कहते हैँ,इश्क मे लोग् अक्सर् पाघल बन जाते हैँ,
यह बात तो किसीने सही फरमाइ हैँ।
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कहते हैँ,इश्क मे लोग् अक्सर् पाघल बन जाते हैँ,
यह बात तो किसीने सही फरमाइ हैँ।
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