प्रेम प्रेम सब कोई कहे, प्रेम न जाने कोई
जो जाने हरी प्रेम को, जग प्रेम को न रोए।
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प्रेम था मीरा का जो, जग से मोह मिटाय
हरी बिन जो न जी सके, साँचो प्रेम कहाय।
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प्रेम कोहु भाषा नहीं, जो मुख सों बोली जाय
जो समझे मन प्रेम को, सो ही राधा कहाय।
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प्रेम तन का रोग नहीं, प्रेम है दिल का मेल
साँचो प्रेम प्रभु मिलन, बांकी सब जग को मैल।-
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लेखक नहीं हूँ में बस दिल की बातों क... read more
बेहद खूबसूरत हो जनाब
कहीं हमारी नज़र न लग जाए।
नजरें जरा झुका कर चला कीजिये
कहीं कोई इनका आशिक न हो जाए।।-
इशारों ही इशारों मे भी बहुत कुछ समझने लगे हो
लगता है आप भी मोहब्बत के नशे मे रहने लगे हो।
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पिता के होने से पहले क्या थे हम
न कोई चिंता न किसी वात का गम।-
काश ये जिंदगी भी उस चौक की तरह होती
कुछ गलत लिखी हो जाने पर साफ़ हो जाती
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है आपके पास जो आम बात लगती है
किस्मत ये आपकी बहुत खास लगती है
जिक्र खुदा का करो या अपने पिता का
दोनो मे एक ही तस्वीर नजर आती है-
किससे कहें की हम लुट गए
यहाँ हर साया तो उजड़ा हुआ है।।
पोंछते थे आँसू जिसके कंधे पर हम
आज वो भी दो गज दूरी पर खडा है।।
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नज़रें झुकाने भर से क्या होगा यहाँ
सव कुछ तो आईने ने कैद कर लिया है।।
भागते रहो तुम हमसे कितना भी दूर
हमने तो हबाओं मे जहर घोल दिया है।।-
हर वक्त सुख को चाहने वाले
दुख की नाव पर बैठकर चल रहे हैं
कुछ तो कातिल हैं जनाव यहाँ
यूँही नही हम हर वक्त मर रहे हैं-
पैसा नहीं मिला हमे तो गाँव छोड़ आए
गाँव की गलियों से हम मुह मोड़ आए ।।
खोज थी सुकून और आराम की जिन्हे
साँसों के लिए अपनी पहचान छोड़ आए।।-