Sandeep Das(h)   (शुक्रगुज़ार)
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Joined 22 June 2020


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Joined 22 June 2020
12 MAY AT 8:26

मैं आगे बढ़ता जा रहा हूँ,
हर हाल में,चलता जा रहा हूँ।
है कमी मुझ मैं कई,
गिरता हूँ ठोकर खाकर।
ख़ुद को संभाल, फिर उठता हूँ,
हर हाल मे,चलता जा रहा हूँ।
मैं ख़ुद को निखारता जा रहा हूँ।

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22 FEB AT 17:54

दुनिया मैं सारी चीजें एक तरफ
और जब कोई प्यार मैं पड़ जाए उसका नूर एक तरफ।

अक्सर इश्क़ आदमी को बदल कर जाती है,
लड़के से आदमी बनने का सफ़र इश्क़ ही करवाती है।
ख़ुद को भूल उसका ख्याल रखता है,
किसी की ना सुनने वाला बस उसकी सुनता है।
वो न खुश हो ऐसी कोई खता न करता है,
ख़ुद थक हार कर उसे आराम दिलाता है।
उसे दुनिया दिखाकर ख़ुद उसे अपनी दुनिया बनता है।

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9 FEB AT 16:40

आपने कुछ कह दिया
बुरा हमे लगा
आपकी बातें कभी कभी दर्द देती है
पर आपका साथ सुकून देता है
दूर आपके सब अधूरा सा है
साथ आपके अब पूरा सा है

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9 FEB AT 0:59

अब उसकी गली मैं मुझको जाना नहीं।
हाल कैसा है, उसे बताना नहीं।
अब हसरत है जान,
तू कहे, मैं हूँ,
और मैं कहूँ, जी पहचाना नहीं।

सब जानते हो फिर भी क्यूँ ये सितम ढाते हो,
इश्क़ पे भरोसा कम है,
या हम आपके लिए काफ़ी कम है।

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5 FEB AT 19:01

उम्मीद से उलझन बढ़ती है,
उलझन से नाराज़गी,
और नाराज़गी से तकरार होता है।
तकरार से जुदाई होती है,
और जुदाई बड़ा दर्द देती है।

इसिलाए जहाँ उम्मीद जगे उसे अपना बना लो
अपने रूठ जाए तो मनाना आसान रहता है।

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14 SEP 2024 AT 18:08

सफ़र ज़िन्दगी की बड़ी सुहानी हैं, ख़ुद को बेहतर बनाने की रीत सी हैं।
मेरे असफल कल के बावजूद,
मैं आज यहाँ पहुंच पाया हूँ |
क्यूंकि मैं अपने ही हार से,
प्यार कर पाया हूँ।
वो साथ रही और ,
बहुत कुछ बतला गयी।
कल के हार ने मुझे सोने न दिया,
मैं इससे बेहतर हूँ,
इस सोच ने मुझे चैन न दिया।
अपने हुनर को अंजाम,
देने की ज़िद्द ने रुकने न दिया।
अपने नाम को पहचान,
बनाने के दौड़ मैं निकला हूँ ।
ये सफ़र अब,
अपना सा लगने लगा है।
मुश्किले अब मुक्कदर नहीं,
मंज़िल दिखाने लगी हैं।
लगता है कल की हार,
अब मुझसे हारने लगी है।
सफ़र अभी बाकी है,
आज से बेहतर कल बनाना है।

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14 SEP 2024 AT 13:37


ए इश्क़ तूने इतनी देर क्यों कर दी,
इश्क़ मैं सब करना, सब्र न करना था।
अब उसके सारे नखरे इशारे से लगते हैं।
और हमारा उसे टालना,
अब नादानी सा लगता है,
उसका जवाब देना
अब इज़हार सा लगता है।
पर हमारा उसे न समझना ,
अब सब एक धोखा सा लगता है........


इश्क़ था उससे पर,
न कह सके हम।।

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12 AUG 2024 AT 13:23

तू दूर रहके तो दूर थी,
अब पास रहके भी दूर है,
ये दिल न जाने क्यूँ अब भी बस तुजसे ही जुड़ना चाहता है।
सब ने सलाह दी, तू आगे बढ़ जा।
वो न कभी तेरी थी, न तेरी बनेगी।अब कैसे बतलाऊ, प्यार तुजसे कोई ज़िद्द न थी, बस मेरी तसल्ली के लिए तेरा ख्याल रखने लगे थे।
हम तो एक तरफ़ा प्यार करने लगे थे।

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29 JUL 2024 AT 14:43

सोच को सच करना है तो
आम से खास बनना होगा

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21 JUL 2024 AT 2:37

हार रुकने का नहीं, सिखने का नाम है।
मुरझाने के डर से, फूल खिलना नहीं छोड़ते।
जीत तक का फासला आपकी
तक़दीर नहीं, तालीम परखती है।
जीत थमने का नहीं, सम्भलने का नाम है।

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