बेपनाह मोहब्बत की और
कोई ख्वाहिश नही है,
बस तू मिल जाये इस्से बडी
कोई गुंजाईश नही है
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इक गुमशुदा जहाँ देखते रहे
अपने अंदर का हम आसमा देखते रहे
तुम हो इधर, यहाँ इस दिल मे
और खूदको हमेशा हम तनहाँ देखते रहे
हो हरदम सामने मेरे मंझील की तऱहा
नजाने तुम्हे हम कहाँ-कहाँ देखते रहे
हरइक याद सजी तुम्हारी मेरे लफ्जोमे
तुम बस मेहफिल का हसी समॉ देखते रहे-
अब मै समझा,
इश्क मे डूब जाने का मतलब
फिजुल ही नही तुने
दिलपे दरबान बिठा रखा है-
चाहु तुम्हे मै मुझसे ये कसूर हो
थोडाही सही तुम्हे मुझसे इश्क जरुर हो
बसमे ना जजबात,ना खयाल रहे
इसकदर तुम्हारी आँखे तुमसे फितूर हो
रातो को तेरी यादें सोने नही देती
मेरी तरह मोहब्बत मे तू भी मजबूर हो
बन जाओ हमसफर जिंदगीके लिये
फिर मुझे भी मेरी मोहब्बतपे गुरुर हो-
हम दे भी क्या सकते है अपने माँ-बाप को
उन्हें हमारी मुस्कुराहटें और जरासा प्यार चाहिए
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गर चाहते हो कोई सबक जिंदगीभर के लिए
तो दिलपे लगे गहरे जख्म और वक्तकी मार चाहिए
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हर एक पन्ने पे बस सौ-सौ वादे है मिलते
गरीब की आवाज लिखे ऐसा कोई अखबार चाहिए
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यू कोशिशें करके कामयाबी कहाँ मिलती
दिलमें जुनून और अपनोका एक तो वार चाहिए
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ये तो आवाज है तेरी-मेरी एक ही जैसी
तू तो बोलती भी है, मुझे अब इकरार चाहिए
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