Sandeep   (Sandeep)
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Aaj phir jeene ki tammana hain, Aaj phir marne ka irada hain…
Joined 31 December 2018


Aaj phir jeene ki tammana hain, Aaj phir marne ka irada hain…
Joined 31 December 2018
5 APR AT 9:52

तुम रूह मेरी,चाह मेरी,
बात में मेरी,मिठास तुम,
आँखें मेरी,चेहरा तुम्हारा,
नींद मेरी,ख़वाब तुम्हारे,
नज़र मेरी जहां जहां,तुम वहाँ वहाँ,
सर पर मेरे अंचल तुम्हारा, धूप में,
चलती हुई मेरी राहे ज़िन्दगी में तुम किसी पेड़ की छाँव,
धूप में सूखते मेरे गले को तुम, किसी मटके का पानी तुम,
होठ मेरे,नाम तुम्हारे,
मेरी हर किताब में, ज़ीकर तुम्हारा,
मेरी हर कहानी का आरम्भम तुम अंत तुम,
मेरी सती तुम पार्वती तुम,
मेरी काली मेरी शक्ति मेरी आधि मेरी अर्धाँगनी तुम,
मेरी हर मुसीबत हर बाला के लिए मेरी तीरि नेतर तुम,

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30 MAR AT 20:16

ग़ालिब मैंने जिस शक्स के लिए ये सारे मसले किए,
गवाह ख़रीदे ताकि वो एक शक्स हमरा होजये तो दुनिया से राबता करूँ,
पर ग़ालिब वो ना समझ नादान अपनी दिल में बिठाने की जगह हमे केजरीवाल की तरह हमपे मुक़दमे लगा देखो सलाख़ों के बीच बिठा दी…!!!

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27 MAR AT 23:06

एक मेरा यार हैं जो रोज़ नये घर खोज लेता हैं…!!!
एक मैं हूँ जिसके भीतर उसकी यादे मकड़ी के जाल सी बुन गई हैं,
बड़ी मुक़सत के बाद निकालने की हिज्जर भी की तो मछली की तरह उलझ के रह गये…!!!

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27 MAR AT 16:15

बिस्तर बता रही हैं,
रात फिर पहली रात की तरह गुजरी हैं…!!!

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24 MAR AT 19:27

हर साल की तरह फिर इस साल भी सबके हिस्से की गुलाल उनको मिल लगा आऊँगा,
बस तेरे हिस्से की गुलाल फिर इस साल कागज के पूड़िये में समेट कर रह जाएगी…!!!

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28 JAN AT 22:02

तुम भाजपा की तरह मुझे अपना कह कर तो देखो,
मैं I.N.D.I.A अलायंस की तरह तुम्हारे लिए बिखर जाऊँगा…!!!

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8 JAN AT 9:30

मैं आयुर्वेदिक दवाई सा प्यार करनेवाला लड़का,
वो अंग्रेज़ी दवाई सा इश्क़ चाहती हैं…!!!

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2 JAN AT 20:42

यहाँ 31st Dec se 1 Jan क्या हुआ
लोगों ने शोर गुल कर दिया,
और यहाँ जो लोग रोज़ बदला करते हैं
उनकी कोई ज़िक्र तक नहीं होता…!!!

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25 DEC 2023 AT 9:08

वक्त मैं और वो जगह वही हैं जहाँ तुम मिले भी और बिछड़े भी,
बस गुजरा हैं, गुजर रहा हैं,और गुजर जाएगा तो दिन,महीना,साल…!!!

ज़िंदगी अब ट्रेन बन गई हैं, एक जगह से दूसरी जगह सबके बोझ सबको अपने अंदर समेट उनके मुक़ाम तक छोड़ आती हैं…!!!

देखता नहीं कोई अब पटरी को ट्रेन पर चढ़ते समये,
की इतने बोझ लिए पटरी कैसे महसूस करते धरती से गले लग कैसे दर्द बया करती होगी…!!!

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23 DEC 2023 AT 11:14

गालिब इस लाखों की भीड़ में अपनी भी एक रानी हुआ करती थी,
जो सबकी बातों को अनसुना कर, मेरे अवाज ना देने पर भी मुझसे,
आके बोला करती थी बोलो क्यों बुलाये, की कहने को सल्तनत मेरी थी,
पर हुकूमत वो मुझ पर सरकारी ज़मीन सा किया करती थी,
की
जो जनवरी की तरह आइ थी, उसे कोई अर्जुन कपूर की तरह दिसम्बर सा ले गया…!!!

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