तुम रूह मेरी,चाह मेरी,
बात में मेरी,मिठास तुम,
आँखें मेरी,चेहरा तुम्हारा,
नींद मेरी,ख़वाब तुम्हारे,
नज़र मेरी जहां जहां,तुम वहाँ वहाँ,
सर पर मेरे अंचल तुम्हारा, धूप में,
चलती हुई मेरी राहे ज़िन्दगी में तुम किसी पेड़ की छाँव,
धूप में सूखते मेरे गले को तुम, किसी मटके का पानी तुम,
होठ मेरे,नाम तुम्हारे,
मेरी हर किताब में, ज़ीकर तुम्हारा,
मेरी हर कहानी का आरम्भम तुम अंत तुम,
मेरी सती तुम पार्वती तुम,
मेरी काली मेरी शक्ति मेरी आधि मेरी अर्धाँगनी तुम,
मेरी हर मुसीबत हर बाला के लिए मेरी तीरि नेतर तुम,
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