sandeep   (Raavan...)
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Banaras...
Instagram page- @san_deep_thoughts
Joined 30 December 2018


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30 JUL 2021 AT 21:49

एक और दुनिया है ख्वाबो की दुनिया!
जहा हर कोई अपनी इच्छाओं को पूरा होते देखता है...
जहा हर कोई अपनी उन खुशियों को जीता है, जिन्हें मजबूरियों में छोड़ आगे निकल जाता है...
जहा हर कोई अपने आने वाले कल को भी संजोता है...
हर दुख में अपने किसी खुशनुमा ख्वाब को पिरोता है...
क्योंकि अक्सर हर कोई अपने खुशनुमा ख्वाब ही तो याद रखता है।
ये दुनिया इस असल दुनिया से बिल्कुल अलग है क्योंकि इसमें इंसान नींद में भी जगता है।

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29 JUL 2021 AT 22:17

खुद को खुद में ही रखते है।
सोचते है की बता दे किसी को हाल-ए-दिल अपना!
फिर सोचते है इस मतलब की दुनिया मे दिल का भी मतलब निकाला जाएगा!
हाल दिल का शर्तो के तराजू पर तौला जाएगा!
बोली लगेगी, शोर मचेगा बाज़ार में ये दिल सरेआम बिकेगा,
हर कोई ले जाएगा जरूरत के मुताबिक कौन इस हाल-ए-दिल को समझेगा!
बस इसलिए हम रोज़ ये इरादा करते है...
की खुद को, खुद मे ही रखते है।

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29 JUL 2021 AT 8:41

चलो बैठते है, थोड़ी बाते करते है, तुम सुनना
मेरी बातें को पर मेरे जज़्बात भी समझना।
मैं कहूंगा कि चाय अच्छी है,
तुम समझना ये तुम्हारे लिए है।
मैं कहूंगा कि पीकर ताज़ा हो गया मैं,
तुम समझना तुमसे मिलकर खुश हो गया मैं।
मैं कहूंगा मैं तलबगार हूँ चाय का,
तुम समझना कि तुम्हारी आदत है मुझे।
मैं कहूंगा कि हर रोज़ की शुरुआत चाय से करता हूं मैं,
तुम समझना कि हर रोज़ तुम्हे देखने की चाहत रखता हूं मैं,
मैं कहूंगा मेरी आदत से ज्यादा मेरी जरूरत है चाय,
तुम समझना कितनी जरूरी हो तुम मेरे लिए।

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29 JUL 2021 AT 0:05

के ये सर्द राते अपनी आगोश में भरती जा रही है मुझे,
मैं रास्तो पर हर रोज़ तुम्हे ढूंढता फिरता हूं।
अपनी खिड़की पे बैठ तुम्हारा रस्ता भी तकता हूं।
हर रोज़ इस चाँद से लड़ता हूं मैं,
हर रोज़ तुम्हे ही याद करता हूं मैं,
पर लगता है तुम अब नही आओगे क्या?
क्योंकि मेरी यादों में धुंधले से हो रहे हो तुम।
मेरे ख्वाबो में आने से भी हिचक रहे हो तुम।
पर मैं तो अब भी हर रोज़ ख्वाबो में तुम्हे देखने की नींद से ज़िद्द करता हूं।
मैं तो अब भी हर रोज़ आंखों में तुम्हारा ही इंतज़ार रखता हूं।
पर शायद अब तुम नही आओगे।

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28 JUL 2021 AT 23:48

कहि किसी गहराई में छुपे उस दर्द को ढूंढना जिसे वो बताता नही है किसी से।
वो सुनता है तुम्हारी हर ख्वाहिश, हर बात को पर जताता नही है अपना दर्द तुमसे।
वो देखता है, हर रोज़ तुम्हे तुम्हारी खुशी, तुम्हारे गम के साथ तुम्हारी आँखों मे भरे आंसूओ को भी वो पहचानता है,
पर किसी रोज़ चैन से बैठकर अपनी ख्वाहिश,आंसू, दर्द और खुशी इन सबको दरकिनार कर चाँद से नैन मिलाकर देखना, कितना दर्द छुपा रखा है उसने अपने अंदर।

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28 JUL 2021 AT 23:39

एक तनहा मैं!
कही एक तरफ हाँ खड़ा है, जिसे इंतज़ार है अपनी बारी का, की कब मैं उन खुशियों को हाँ कहूंगा जिनमे मैं सच मे खुश होता हूं।

और एकतरफ ना खड़ा है, जो जानता है मेरी मजबूरियों को, मेरे समझौतों को जिसमे मैंने खुद को ना की जंजीरों में बांध रखा है।

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27 JUL 2021 AT 7:52

हर उस शक़्स से मिलकर जिसे हम चाहते है।
जो हमारी आदतों, शिकायतों, खुशियों और दुखों में शामिल होते है।
कई बार किसी की खूबसूरती की तारीफ में तो कई बार यारो की यारी पे,
जब करनी हो बात तो अक्सर लफ्ज़ कम पड़ ही जाते है।
माँ के लिए कुछ लिखना हो, पापा से कुछ कहने के लिए भी लफ्ज़ कम पड़ ही जाते है।

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26 JUN 2021 AT 17:17

जैसे चाय और दूध एकदूसरे में मिलकर खो जाते है।
जैसे चायपत्ती का रंग चाय के वजूद में उतर जाता है।
जैसे अदरक इलाइची की महक उस चाय का जायका बढ़ाती है।
जैसे चीनी की मिठास से मिजाज बन जाता है।
जैसे चाय को पीते ही दिल को सुकून मिल जाता है!
बस कुछ लोग इस चाय की तरह ही होते है,
जिनके होने से हर बुरा पल हँस के गुजर जाता है।

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26 JUN 2021 AT 9:27

इस धधकती उमस भरी दुपहरी के बाद के इस सुहावने पल में, ऐ शाम तू ही बता कैसे ना उसे याद करू!
मैं कैसे अनदेखा कर दू इन चिड़ियों की चहचाहट को जो भोर की ठंड भरी सुबह के बाद इस वक़्त में ही एक झुंड बनाकर उड़ती है।
ऐ शाम तू ही बता, कैसे ना मैं इस लम्हे में खुद को समेटकर अपने आज और कल की फिक्र में खुद को बिखरने दु!
मैं क्यों हर रोज़ खुद को इस पल में खोया हुआ सा पाता हूं!
ऐ शाम तू ही बता,क्यों हर रोज़ मेरी फिक्र मेरा प्यार मेरा गुजरा हुआ कल सब समेटकर तु मेरे करीब आकर बैठ जाता है।
ऐ शाम तू ही बता! ऐ शाम तू ही बता!

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31 MAR 2021 AT 23:14

भले ही छुपा ले दुनिया से सारे गम मुझसे क्यों छुपा रहा है।
आंखों में कैद दरिया को क्यों बहने से बचा रहा है।
खुद को समेट ले मुझमे कह दे दिल का हाल सारा,
गमो को बाट ले मुझसे क्यों अकेले घुट के मरा जा रहा है।

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