Sanchit Chand Thakur   (संचित 'चंद ' ठाकुर)
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Joined 19 June 2017


Joined 19 June 2017
15 MAR 2022 AT 23:02

"रहने दिए तरकश में ही वो तीर जो वचनबद्ध थे,
रणभूमि में कर्ण को पांडवों से भिड़ने के मौके मिले बहुत थे..
कि शायद अपनी बातों का मोल तब रहा होगा उस युग में,
अधर्म की ओर से लड़ने वाले भी जब धर्म से युद्ध करते थे..."

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14 MAR 2022 AT 22:54

"वो ख़ामोशी से भी अपना इश्क़ जता देते है..
सबसे नज़रें चुराकर देखते है मेरी और, और मुस्कुरा देते है.."— % &

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13 MAR 2022 AT 0:08

"इन उधार की साँसें पर क्यों एहसासों का कर्ज़ चढ़ाना..
ना किसी से वादा, ना शिक़ायत, ना ख़्वाहिश..
भरते नहीं ज़ख्म दिल के उम्रभर, फिर क्यों दिल लगाना..."— % &

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11 MAR 2022 AT 22:45

"एक तिनके से डूबते को बचा रखा है, जैसे तैसे इश्क़ संभाल रखा है..
जाने कितने वादों से जोड़ा रिश्ता, एक आस भर से टूटने से बचा रखा है..."— % &

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10 MAR 2022 AT 21:44

"बड़ी फुर्सत से देखा है तुमको दूसरों की नज़रों से बेख़बर होकर 'चंद '..
तुम्हारी ग़ैरहाज़री में भी तुम्हें अल्फ़ाज़ों और तस्वीरों में उतार सकता हूँ..."— % &

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10 MAR 2022 AT 21:33

"कुछ राहें मंज़िल भुला देती हैं, कुछ हमसफ़र राहें..
कुछ मंज़िलों का मिलना मुकद्दर में नहीं होता
कुछ हमसफ़र का मंज़िल के बाद का साथ..."— % &

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9 MAR 2022 AT 22:45

"बेबात कभी बात हो जाए, राह में उनसे मुलाक़ात हो जाए..
मुस्कुरा कर मिलूँगा जब भी मिलूँगा,
फिर बाद में चाहे आँसुओं की बरसात हो जाए..."— % &

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7 MAR 2022 AT 22:55

"गर बिन माँगे पूरी हो जाती हर ख़्वाहिश, तो फ़रियाद कौन करता..
ना होता गम कोई 'चंद ', तो दुआ में विश्वास कौन करता..."— % &

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7 MAR 2022 AT 22:20

"हर खुशी की कीमत दोगुना गम तो नहीं 'चंद ' फिर क्यों..
यूँ मुस्कुराहट के लिए अंग एक और आँसुओं के दो हैं..."— % &

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7 MAR 2022 AT 15:51

"मेरी चाहत का मुझसे सौदा कर लो..
रख लो मेरे जज़्बात 'चंद ', मुझे सुकून अदा कर दो..."— % &

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