Sanaya Irani   (लिखावट✍)
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Joined 21 August 2017


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Joined 21 August 2017
6 JAN 2024 AT 2:06

कोरे से ख़्वाब,
फिजूल के चर्चे
तन्हाइयों का बाज़ार,
बंजर सी ज़मी
पानी की प्यास,


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6 NOV 2023 AT 17:00

गलती का एहसास हर किसी को होता है,
किसी को जल्दी, तो किसी को देर से पछतावा होता है,।।

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25 JUN 2023 AT 16:52

मैंने सोचा है बहुत फ़ुरसत से,
कुछ लोगों के बारे में,
जिनके चहरे के पीछे छुपे हैं,
कई चहरे हज़ारों...!
🥀🥀🥀
सोचा तो बहुत बार,
उनसे दूरियां बनाएँगे,
मगर इस दिल के हाथों,
हम बेबस हो जाते हैं...!
🥀🥀🥀
वो चोरों की तरह,
हमे धोखा दे जाते हैं,
और हम बेबस होके हमेशा,
उनकी बातों में आ जाते हैं..!
🥀🥀🥀
तन्हा रहकर भी ये तरीका,
मुझे काम ना आया,
हर कदम पर मैनें ही जब,
खुद को अकेला पाया है...!
🥀🥀🥀

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24 JUN 2023 AT 17:12

ज़ज़्बाती है इश्क़ मेरा,
तुझे अपना समझता है...❣

गैरों से दूर तेरे दिल में,
पनाह रखता है....❣

कोई आए हमारे बीच में,
ये हमें गवारा कहाँ ....❣

बस हम ही रहे साथ,
ये दिल से दुआ करता है....❣

है फिज़ूल तेरा मेरा,
किसी तीसरे के पास जाना.....❣

हमारे चहरे की उदासी को,
हमसे बहतर कौन समझता है...❣


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22 JUN 2023 AT 17:48

कुछ सहेलियां लाजबाब होती हैं,ये दो बहनों की तरह खास होती हैं..
इन्हें ज़रूरत नहीं किसी रिश्तेनाते की,जब ये कई दिनों बाद एक साथ होती हैं।।

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21 JUN 2023 AT 9:21

जो सोचता हैं,
की..
उसके चारों ओर,
लोगों का मेला है....
यकीन मानिए वो इन्सान
एक दम अकेला है...!!

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5 JUN 2023 AT 12:14

ये बिन मौसम बरसात..
देखो कैसे आई है,
मौन रहो..
और कुछ ना कहो,
इसमे मौसम की ही..
रुसवाई है,
ये सर्द हवाओं सा..
मन मेरा,
बिखरी बिखरी सी..
तन्हाई है,
पढ़ने, लिखने और सुनने को..
एक कसक सी मन में,
जागी है..
टुकड़ों टुकड़ों को
जोड़ा मैनें,
टूटा अब भी कुछ..
बाकी है,
जो जोड़े से भी ना जुड़े..
रिश्ता कमज़ोर वो,
काफी है..।।

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30 MAY 2023 AT 22:31

हूँ लिपटी तेरी याद से
हो बूँदें जैसे बरसात से,

महकी महकी, कुछ भीनी सी..
खुशबू आए उस बाग से,

है दिल का मौसम बदला सा..
तेरी एक झलक के बाद से,

ना वो बोले, ना हम बोले..
थे अनकहे जज़बात से ।।

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22 APR 2023 AT 21:27

हीरे की सौगात नहीं, ये जनम जनम का साथ है...
है बेशकीमती रिश्ता ये, जो जोड़े दिल के हर तार है।।

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22 APR 2023 AT 15:31

उसने गिरते हुए समंदर देखे थे,
और...
मैनें गिरते हुए उसे देखा था।।

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