SANAT PANDEY   (SANAT PANDEY)
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Joined 23 January 2023


Joined 23 January 2023
5 AUG 2023 AT 1:16

!!जहाँ दूसरों को समझना मुश्किल हो जाए!!
!!वहाँ खुद को समझा लेना बेहतर होता है!!

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31 MAY 2023 AT 22:30



काहु न कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता॥

भावार्थ:-हे भाई! कोई किसी को सुख-दुःख का देने वाला नहीं है। सब अपने ही किए हुए कर्मों का फल भोगते हैं॥

* जोग बियोग भोग भल मंदा। हित अनहित मध्यम भ्रम फंदा॥
जनमु मरनु जहँ लगि जग जालू। संपति बिपति करमु अरु कालू॥

भावार्थ:-संयोग (मिलना), वियोग (बिछुड़ना), भले-बुरे भोग, शत्रु, मित्र और उदासीन- ये सभी भ्रम के फंदे हैं। जन्म-मृत्यु, सम्पत्ति-विपत्ति, कर्म और काल- जहाँ तक जगत के जंजाल हैं,॥

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31 MAY 2023 AT 22:05



* बोले लखन मधुर मृदु बानी। ग्यान बिराग भगति रस सानी॥
काहु न कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता॥

भावार्थ:-तब लक्ष्मणजी ज्ञान,वैराग्य और भक्ति के रस से सनी हुई मीठी और कोमल वाणी बोले- हे भाई! कोई किसी को सुख-दुःख का देने वाला नहीं है। सब अपने ही किए हुए कर्मों का फल भोगते हैं॥

* जोग बियोग भोग भल मंदा। हित अनहित मध्यम भ्रम फंदा॥
जनमु मरनु जहँ लगि जग जालू। संपति बिपति करमु अरु कालू॥

भावार्थ:-संयोग (मिलना), वियोग (बिछुड़ना), भले-बुरे भोग, शत्रु, मित्र और उदासीन- ये सभी भ्रम के फंदे हैं

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31 MAY 2023 AT 22:00

* बोले लखन मधुर मृदु बानी। ग्यान बिराग भगति रस सानी॥

काहु न कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता॥

भावार्थ:-तब लक्ष्मणजी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के रस से सनी हुई मीठी और कोमल वाणी बोले- हे भाई! कोई किसी को सुख-दुःख का देने वाला नहीं है। सब अपने ही किए हुए कर्मों का फल भोगते हैं॥2॥

* जोग बियोग भोग भल मंदा। हित अनहित मध्यम भ्रम फंदा॥
जनमु मरनु जहँ लगि जग जालू। संपति बिपति करमु अरु कालू॥

भावार्थ:-संयोग (मिलना), वियोग (बिछुड़ना), भले-बुरे भोग, शत्रु, मित्र और उदासीन- ये सभी भ्रम के फंदे हैं।

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31 MAY 2023 AT 13:52

इस संसार मे दुःख का कारण उम्मीद है

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30 MAY 2023 AT 20:34

इस संसार मे दुःख का कारण उम्मीद है

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30 MAY 2023 AT 10:10

!!तू साथ न दे मेरा चलना मुझे आता है
हर आग से वाक़िफ़ हूँ जलना मुझे आता है!!

ये जीवन का पुतला जल जाए भी तो क्या

!!मरने के लिए ऐसा कोई दौर न आएगा
जो बीत गया है वो अब दौर न आएगा!!

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1 MAY 2023 AT 0:20

कितना भी पकड़ लो, फिसलता जरूर है। ये वक्त है साहब, बदलता जरूर है।

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1 MAY 2023 AT 0:16

!! कितना भी पकड़ लो, ये फिसलता जरूर है। ये वक्त है साहब, बदलता जरूर है !!

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28 APR 2023 AT 0:48

उसूलों पे जहाँ आँच आये तो टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है

जुबान है तो बोलो वरना गूँगे तो बेजुबान होते ही है

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