Samriddh Gupta  
18 Followers · 10 Following

Joined 4 July 2020


Joined 4 July 2020
3 JAN 2022 AT 21:20

Paid Content

-


27 JUL 2021 AT 20:20

मैं पल दो पल का शायर हूँ,
पल पल के लिए तरसता हूँ,
कभी दूसरों के पलों पर लिखता हूँ,
कभी नए पलों को बुनता हूँ,
मेरी शायरी में खुद का कुछ भी नहीं,
दूसरों के पलों को जीता हूँ।

-


21 SEP 2020 AT 19:51

बारिश की वो हर बूंद
मेरे दुख को छुपा रही है,
कभी मेरे चेहरे पर टपक रही है,
कभी कार की खिड़की पर,
कभी मेरे आंसूओं को अपने जोड़ रही है,
कभी मुझे बाहर की दुनिया से छुपा रही है,
हर बार मेरे दुख को छुपा रही है
दुनिया के सामने आने से बचा रही है ।

-


8 SEP 2020 AT 10:08

समझ नही आता ज़िन्दगी का शायराना,
कभी हसाती है, तो कभी रुलाती है,
पर हर दफा कुछ नया एहसास कराती है।

-


16 AUG 2020 AT 14:33

ख्वाहिशों की इस दुनिया मे,
टूटते बिखरते है कई अरमान,
इच्छा की थी ज़ाहिर उससे,
पर तोड़ के मेरे ज़मीर को हज़ारो में,
हो गया गायब वो लोग हज़ारों में।

-


11 AUG 2020 AT 0:26

https://www.youtube.com/watch?v=5nBTy7gGafA
Poem on mother's love. A poem about distance which is increasing continously between a mother and son. Please watch Maa ki Gaud on youtube.

-


6 AUG 2020 AT 19:21

पूछता हूँ हर नाचीज़ से,
किसी के टूटने का दुख क्या होता है,
तब रूबरू हुए उस एहसास से,
जब मेने करी मेहनत जी जान से,
चंद पैसो से खरीदा वो जो चाहिए था कब से,
दुखी हुआ दिल जब टूटा पाया मेने उसे,
गुस्सा आ रहा था उस ज़ालिम के ऊपर,
जो तोड़ के चला गया था मेरी पसंद को,
पर दुखी था दिल देख के टूटा अपनी मेहनत को।

-


3 AUG 2020 AT 16:31

जब कुछ नही था,
तब थी एक परीक्षा,
कुछ करके दिखाने की,
खुद को तराशने की,
सपनो को हक़ीक़त बनाने की।

अब सब कुछ है तो,
फिर से है परीक्षा,
पता करने की कौन है सच्चा,
घमंड से लड़ने की,
लगातार बेहतर बनने की ।

-


3 AUG 2020 AT 13:57

कहता है मुक्कमल जहां, नामुमकिन नही कुछ भी।
पूछ के देखो उससे,
जो इस दुनिया के सामने चंद पलो के लिए हसके,
अपने आप को मुक़्क़दर का सिकंदर समझता है ।

-


Seems Samriddh Gupta has not written any more Quotes.

Explore More Writers