Samrat Vishnukirti Kashyap   (पंचद्रविड़ब्राह्मण विकास)
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Makhan premi
Love only
Joined 26 June 2018


Makhan premi
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17 OCT 2021 AT 15:45

गलती से भी गलती से सीख लिया करो
आगे गलती से भी कोई गलती न हो
इस लिए मान लिया करो ।।
गलती गलत नहीं बस गलती को गलती न कर सुधार लिया करो ।।
कब तक बस गलती को गलत करके गलती से हार जाओगे कभी गलती से गलती को ठीक भी कर लिया करो ।।।

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17 OCT 2021 AT 15:38

ठंड की बात तो देखो
दहलीज पर ही खड़ी थी ।
ओर हमे
उनसे ही इश्क होगया
जिनसे कभी घाव हुए थे ।।
शरद की सर्दी बड़ी बेदर्दी देती है
फुहार तो होती है पर बारिश नही
धूप तो निकलती है पर सूरज नहीं
चांद तो होता है पर रोशनी नहीं
प्रेमी तो होता है पर प्रेम नहीं
कली तो खिलती है पर फूल नहीं
जिंदगी तो होती है पर प्राण नहीं
ठंड है कोई प्रेम नही ।।।

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26 SEP 2021 AT 23:53

मैं मेरा और तुम्हारा
तू तेरा और हमारा
वो उसका और उसके
क्या फर्क पड़ता है जिस किसी के

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26 SEP 2021 AT 23:49

कुछ दिनों की बात है
बात है याद पर राज है
बताने की बात राज है
याद सिर्फ बात है
बात के राज खुले है
असल बात ये है की
ये राज की बात है

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26 SEP 2021 AT 23:17

स्थिति तो देखो हमारी
सभी अपनो को एक दिन
एक दिन के हिस्से में बांट दिया
तय कर दिया दायरा बेटे को बेटी को
मात पिता और सभी रिश्तों को

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22 SEP 2021 AT 21:56

मौन
क्या तुम्हारी बाते में यूं लिख देता किताब में
पन्नो में छपकर तुम और ज्यादा मचल जाती
कलम और मन थिरक तो रहा था
तुम्हे खुद से कागज में उतारने को ।।
पर मौन मेरा प्रेम और
कोरा पन्ना मेरा हृदय ,
अधरो की बाते हृदय सुन गया
और में मौन और मौन हो गया ।।
कैसे लिख देता तुझे
लिखने से तू कहानी हो जाती
फिर तुम पन्नो की होजाती
इसलिए मैने बूंदों को घूंट बना घटक लिया
बातो को हृदय में मौन और मौन कर गया ।।

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22 SEP 2021 AT 21:41

तत्त्व बोध
अवस्था त्रयं किम् ?
जाग्रत्स्वप्नसुषुप्तय अवस्था:।
अवस्था तीन कौनसी है ?
जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति तीन अवस्थाएं है।।

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22 SEP 2021 AT 21:31

तत्त्व बोध
कारण शरीरं किम्?
अनिर्वाच्याद्यं विद्या रूपं शरीरद्वयस्य कारण मात्रं
सत्स्वरूपाsज्ञानं निर्विकल्पक रूपं यदस्ति।।
कारण शरीर क्या है ?
जो न सत्य है ना झूठ है केवल भास मात्र है
अनादि और अविद्या रूप,, स्थूल सूक्ष्म दोनों शरीरों का जो बीज है अपने स्वरूप का अज्ञान और निर्विकल्पक रूप जो है उस माया को कारण शरीर कहते है

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15 SEP 2021 AT 10:10

तत्त्व बोध
कर्मेंद्रिय कर्म का?
वाक् आदि क्रमश: भाषणम्,ग्रहणं,गमनं, त्यागं आनंदं–विषय कर्म।।
कर्मेंद्रि के कार्य क्या है?
देव– वाणी के अग्नि,हाथ के इंद्र, चरणों के विष्णु, गुदा के मृत्यु,लिंग के प्रजापति,
विषय –वाणी का भाषण,हाथ का ग्रहण,चरणों का गमन, गुदा का मल त्याग,लिंग का विषय भोग का आनंद ये इनका कर्म है ।।

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15 SEP 2021 AT 10:01

तत्त्व बोध
ज्ञानेंद्रिय कर्म का: ?
श्रोत्रादी क्रमश शब्द स्पर्श रूप रस गंध ग्रहणम्।
ज्ञानेंद्रि के कर्म क्या है ?
देवता – श्रोत्र के दिशा,त्वचा के वायु, नेत्रों के सूर्य,। रसना के वरुण,घ्राण के अश्विनी कुमार
विषय ग्रहण–श्रोत्र का शब्द ,त्वचा का स्पर्श , नेत्रों का रूप , जिह्वा का रस और घ्राण का गंध ।

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