samrat vishal   (SAMRAT)
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Joined 22 November 2019


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Joined 22 November 2019
28 FEB AT 18:00

घर से दूर घर के लाडले भी तन्हा हो जाते हैं...
लाखों की भीड़ में अकेले शांत कहीं खो जाते हैं...
जब मन नहीं लगता तो नहीं करते शोर जमाने में,
चुप - चाप अपने कमरे में कुछ पल सो जाते हैं...

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7 FEB AT 13:46

रफ्ता - रफ्ता मेरे सजने - संवरने के शौक जा रहे हैं...
घर की मजबूरियों जरा मजबूत हो जाओ...
तुम्हे उठाने दो मज़बूत कंधे आ रहे हैं...

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6 FEB AT 23:14

बनूं गले का हार या बनूं हाथ की अंगूठी तुम्हारे गहने में...
दूरी बर्दाश्त है तुमसे पर मौत आती है तुम्हारी चुप्पी सहने में...
माना समझता नहीं हूं मैं भाषा इशारों को,
इश्क़ अगर है तुम्हें भी तो क्या हर्ज है इसे अपनी जुबां से कहने में...

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2 FEB AT 10:25

मैं लड़ रहा हूं मैं से मैं मैं से हारा है...
मैं जीतू मैं से
मैं मैं से हारूं ये ना मेरे मैं को गवारा है...

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2 FEB AT 10:20

खलबली है दिल में, ना मुझे अब दुनिया का कोई शोर चाहिए...
तू है... तो तू सही, वर्ना अब ना मुझे कोई और चाहिए...

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29 JAN AT 9:29

तुम साथी हो मेरे, मैं भला तुम्हें चलना क्या सिखाऊं?
तुम अंगार हो धधकता, मैं भला तुम्हे जलना क्या सिखाऊं?
तेरे आने से तक़दीर बदली है मेरी,
मैं भला तुम्हे वक्त बदलना क्या सिखाऊं??

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24 JAN AT 21:55

लिखूं मैं कुछ ऐसा की बंजर धरा भी आबाद हो जाए...
चाहूं मैं कुछ ऐसा की चाहत को भी फरियाद हो जाए...
चमकाऊ में अपने किरदार को कुछ ऐसा कि,
क़िरदार बनाने वाले को भी मेरा किरदार याद हो जाए ।।

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29 DEC 2023 AT 13:34

लिख रहा है कोई हाल-ए-दिल अपने शायराना अंदाज में,
कोई पढ़ कर सिर्फ़ वाह वाही में रह गया...
पढ़ने वालों के होठों से मुस्कुराहटें कम ना हुई, "सम्राट" और लिखने वाले का दर्द आंसुओं में बह गया...

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20 MAR 2023 AT 23:50

लिखा है आज अरसे बाद, जो तुम सुनने को आई हो...
रखें है संभाल कुछ अधूरे ख्वाब, जो तुम बुनने को आई हो...
खड़े आज भी उस बाग में गुल बनके हम, जिस बाग में कभी तुम फूल एक चुनने आई हो...

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20 MAR 2023 AT 15:54

जब ना दिखे वो तो दिल उसकी ताक में रहता है...
जो दिख जाए वो तो उससे मिलने की फिराक में रहता है..
वो बात करती है जैसे अजनबी हूं मैं,
एक यह मन है जो उसके दिन- रात उसी के ख्यालात में रहता है...

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