दाख़िल हो मेरे दिल में
धड़कन पढ़ रही हो।
तो नफ़्स से मिल आना
कहाँ बढ़ रही हो?
गुज़रे-सुनहरे पलों के
कई फ़साने मिलेंगे।
ख़ुश्क हुए रक़्त में
महकते दाने मिलेंगे।
तो लौटना उसी हँसी में
ज़ीनत की दासी बनकर।
फिर आना मेरी दुनिया
चाहत में संन्यासी बनकर।-
Samrat Sameer
(सम्राट समीर)
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हूँ एक अजनबी हमसफ़र
||Creative_Writer||
पत्थरों पर कविता लिखने वाले झील में नहाया करते हैं, ... read more
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पत्थरों पर कविता लिखने वाले झील में नहाया करते हैं, ... read more
Joined 12 April 2019
26 MAY 2020 AT 18:35
28 MAY 2021 AT 18:42
वहाँ अधिक खिलते हैं फूल
खूबसूरत लगता है शहर
सड़कें बिस्तर हो जाती
आनंद में गुज़रती गाड़ियाँ
गलियों में मीठा शोर।
जहाँ मोहब्बत होती है
वहाँ चहकते हैं आँगन
प्यारा लगता है गाँव
मिट्टी हमसफ़र हो जाता
जन्म लेते कई पौधे
फिर देखते हैं प्यार को।-
2 MAY 2021 AT 20:18
खिड़कियों से कुछ ही तारे दिखेंगे
इतने मासूम तो कई बेचारे दिखेंगे
हाँ ऐसी दुनिया की रीत-प्रीत
कुछ किनारे तो कुछ प्यारे दिखेंगे-
5 FEB 2021 AT 19:33
समंदर से मिलो, आँखों में सैलाब देखो
है इतनी हिम्मत, फुर्सत में ख़्वाब देखो-
9 DEC 2020 AT 18:40
लगी दिल पे चोट, तो पत्थर लगे फेंकने
हाँ चल दिए जनाब, फिर तमाशा देखने-