ख़्वाब जो कम पड़ने लगे तुझे देखने के लिएहम भी नींदों से लड़ने लगे तुझे देखने के लिए........!जानते हैं अब तू कभी हमारा नहीं होगाइसलिए हम भी लिखने लगे तुझे देखने के लिए......!घर से निकल आया हूं घर छोड़करकहीं घर भी ना ज़िद करने लगे तुझे देखने के लिए..!दिन भर की थकान से चूर थाफिर भी पैर चलने लगे तुझे देखने के लिए.............!कभी जो तुझे पाने की दुआ करते थेवही हाथ दुआ पढ़ने लगे तुझे देखने के लिए..........! -
ख़्वाब जो कम पड़ने लगे तुझे देखने के लिएहम भी नींदों से लड़ने लगे तुझे देखने के लिए........!जानते हैं अब तू कभी हमारा नहीं होगाइसलिए हम भी लिखने लगे तुझे देखने के लिए......!घर से निकल आया हूं घर छोड़करकहीं घर भी ना ज़िद करने लगे तुझे देखने के लिए..!दिन भर की थकान से चूर थाफिर भी पैर चलने लगे तुझे देखने के लिए.............!कभी जो तुझे पाने की दुआ करते थेवही हाथ दुआ पढ़ने लगे तुझे देखने के लिए..........!
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ज़मीं पर गिरा तो उसी का हो गयामैं ख़ुद को छोड़कर हर किसी का हो गया.......!कभी रास नहीं आया मुझे आइना मेराजहां दिखी तेरी सूरत उसी का हो गया...........! -
ज़मीं पर गिरा तो उसी का हो गयामैं ख़ुद को छोड़कर हर किसी का हो गया.......!कभी रास नहीं आया मुझे आइना मेराजहां दिखी तेरी सूरत उसी का हो गया...........!
मोहब्बत की जम्हूरियत में दस्तूर हो गया हैकोई गिरा और कोई चकना चूर हो गया है...............!के अभी तो जवानी का बचपना है तुम मेंऔर अभी से जवानी का फितूर हो गया है...............!हम ने तो गले से लगाया था गुल कोमिरे दामन का कांँटा युंँ हि मशहूर हो गया है.............!हर किसी से होता है मुस्कुरा कर रूबरूमेरा दर्द भी कितना मजबूर हो गया है....................! पांँव आज भी खड़े हैं इजाज़त पाने को मगरतेरा रास्ता बहोत मगरूर हो गया है.......................!कोई शिकायत नही थी उनको जो मदहोश थेहोश में आए तो गिला हमसे जरूर हो गया है...........! -
मोहब्बत की जम्हूरियत में दस्तूर हो गया हैकोई गिरा और कोई चकना चूर हो गया है...............!के अभी तो जवानी का बचपना है तुम मेंऔर अभी से जवानी का फितूर हो गया है...............!हम ने तो गले से लगाया था गुल कोमिरे दामन का कांँटा युंँ हि मशहूर हो गया है.............!हर किसी से होता है मुस्कुरा कर रूबरूमेरा दर्द भी कितना मजबूर हो गया है....................! पांँव आज भी खड़े हैं इजाज़त पाने को मगरतेरा रास्ता बहोत मगरूर हो गया है.......................!कोई शिकायत नही थी उनको जो मदहोश थेहोश में आए तो गिला हमसे जरूर हो गया है...........!
दिखने लगा हूंँ सब को किसी मेअा'र की तरहाकभी मोहब्बत कभी तड़प कभी इंतज़ार की तरहा.....!सब चले गए ख़रीद कर मंज़िलें अपनी अपनीमैं खड़ा हूंँ अब भी वहीं फ़क़त बाज़ार की तरहा........!पढ़कर भी नहीं समझ पाते लोग मुझ कोकोई तो गया है लिख मुझे अश'आर की तरहा..........!दवा आज भी वही है मेरे हर मर्ज़ कीदिल में आज भी दख़ल है उसका हक़दार की तरहा...!शक़ हुआ तो था ज़माने पे थोड़ा थोड़ाहम ही कहां समझे इशारा समझदार की तरहा..........!अब ले चल, जिधर तेरा मन करे मांझीबहुत भटका है "सम्राट" तिरी पतवार की तरहा........! -
दिखने लगा हूंँ सब को किसी मेअा'र की तरहाकभी मोहब्बत कभी तड़प कभी इंतज़ार की तरहा.....!सब चले गए ख़रीद कर मंज़िलें अपनी अपनीमैं खड़ा हूंँ अब भी वहीं फ़क़त बाज़ार की तरहा........!पढ़कर भी नहीं समझ पाते लोग मुझ कोकोई तो गया है लिख मुझे अश'आर की तरहा..........!दवा आज भी वही है मेरे हर मर्ज़ कीदिल में आज भी दख़ल है उसका हक़दार की तरहा...!शक़ हुआ तो था ज़माने पे थोड़ा थोड़ाहम ही कहां समझे इशारा समझदार की तरहा..........!अब ले चल, जिधर तेरा मन करे मांझीबहुत भटका है "सम्राट" तिरी पतवार की तरहा........!
मेरी अब जगह ना पूछिएमैं क्यों हूं वजह ना पूछिए.....................!जगह जगह से सुनकर आया हूंअब इस आलम की जगह ना पूछिए.......!किस कदर सब समेटा हैइक वियोगी से विरह ना पूछिए..............!समुंदर को पीकर आए हैंखारे पानी की खरए ना पूछिए................!नाराज़ तो हम अब तक हैंतेरी यादों के सामने विनय ना पूछिए........!अब सारी दुनिया अपनी हैअब ख़ुद पर मेरी विजय ना पूछिए..........! -
मेरी अब जगह ना पूछिएमैं क्यों हूं वजह ना पूछिए.....................!जगह जगह से सुनकर आया हूंअब इस आलम की जगह ना पूछिए.......!किस कदर सब समेटा हैइक वियोगी से विरह ना पूछिए..............!समुंदर को पीकर आए हैंखारे पानी की खरए ना पूछिए................!नाराज़ तो हम अब तक हैंतेरी यादों के सामने विनय ना पूछिए........!अब सारी दुनिया अपनी हैअब ख़ुद पर मेरी विजय ना पूछिए..........!
मिलता नहीं हर दफा कोई किसी कोमिली उसे जो ये दौलत, मुब़ारक उसी को............!किसे ग़म है और किसे ख़ुशी हैतन्हा कभी आइने में देखना अपनी हंँसी को.........!ना कोई ज़ोर ना जबरस्ती की गुलाब नेटूटा फिर भी हर बार हासिल हुआ ज़मीं को.........!तहरीरें बहुत सी लिखी जा सकती थींउठाया जब भी हर्फ सुपुर्द ऐ ख़ाक था नमी को.....!नज़रें अब झुका कर चलता हूंँअक्सर लग जाती है मिरी नज़र, मुझी को...........! -
मिलता नहीं हर दफा कोई किसी कोमिली उसे जो ये दौलत, मुब़ारक उसी को............!किसे ग़म है और किसे ख़ुशी हैतन्हा कभी आइने में देखना अपनी हंँसी को.........!ना कोई ज़ोर ना जबरस्ती की गुलाब नेटूटा फिर भी हर बार हासिल हुआ ज़मीं को.........!तहरीरें बहुत सी लिखी जा सकती थींउठाया जब भी हर्फ सुपुर्द ऐ ख़ाक था नमी को.....!नज़रें अब झुका कर चलता हूंँअक्सर लग जाती है मिरी नज़र, मुझी को...........!
कुछ कहा नहीं दरिया से तूफ़ान नेक्या क्या सिखा दिया मुश्किल को आसान ने....!हर कोई पड़ा है सूरज के पीछेचांद छीन लिया, ख़्वाबों के आ'समान ने...........!गुलाब, किताब, शराब सब झूठे हैंपा लिया सारा जहां, पाकर ख़ुद को इंसान ने....!ये तो जानी पहचानी सी इबारत हैज़ख़्म अपनों ने दिए मरहम अंजान ने...............!जुस्तजू होगी तो सही किसी की कभीयूंँही नहीं सब मिटा दिया बेजान ने...................!गुलाब, किताब, शराब सब झूठे हैंपा लिया सारा जहां, पाकर ख़ुद को इंसान ने.......! -
कुछ कहा नहीं दरिया से तूफ़ान नेक्या क्या सिखा दिया मुश्किल को आसान ने....!हर कोई पड़ा है सूरज के पीछेचांद छीन लिया, ख़्वाबों के आ'समान ने...........!गुलाब, किताब, शराब सब झूठे हैंपा लिया सारा जहां, पाकर ख़ुद को इंसान ने....!ये तो जानी पहचानी सी इबारत हैज़ख़्म अपनों ने दिए मरहम अंजान ने...............!जुस्तजू होगी तो सही किसी की कभीयूंँही नहीं सब मिटा दिया बेजान ने...................!गुलाब, किताब, शराब सब झूठे हैंपा लिया सारा जहां, पाकर ख़ुद को इंसान ने.......!
इक हम ही नहीं बदले वक़्त के साथ साथनज़र,खिड़की,रास्ता सब बदल गया उसके साथ साथ....!वो सच थी बातें या बातों की महफ़िल थीपुकारे जो रिश्तों का खंडहर,ले जाना'इक पुरानी बात साथ!कोई सुराग नहीं मिलता अब उसकी गली काशायद' दे रहा था पहले, कोई इत्तेफ़ाक़ साथ................!सुबह, दोपहर, शाम ख़ुद को छुपाए रखते हैंकोई' बहाना नहीं बचता, होती है जब सिर्फ रात साथ.....!धूप आने नहीं देती इक यादों की दिवारगर गुज़रो यहांँ से, लेकर आना' आफ़ताब साथ.............! -
इक हम ही नहीं बदले वक़्त के साथ साथनज़र,खिड़की,रास्ता सब बदल गया उसके साथ साथ....!वो सच थी बातें या बातों की महफ़िल थीपुकारे जो रिश्तों का खंडहर,ले जाना'इक पुरानी बात साथ!कोई सुराग नहीं मिलता अब उसकी गली काशायद' दे रहा था पहले, कोई इत्तेफ़ाक़ साथ................!सुबह, दोपहर, शाम ख़ुद को छुपाए रखते हैंकोई' बहाना नहीं बचता, होती है जब सिर्फ रात साथ.....!धूप आने नहीं देती इक यादों की दिवारगर गुज़रो यहांँ से, लेकर आना' आफ़ताब साथ.............!
ज़रूरी नहीं हर एक दर्द बांटा जाएकुछ आग भी दिल में बाकी होनी चाहिए..! -
ज़रूरी नहीं हर एक दर्द बांटा जाएकुछ आग भी दिल में बाकी होनी चाहिए..!
हमारे दर्मियां, बस रह गया, यही रिश्ता ग़ज़ल बाकीकभी तू याद कर लेना, कभी मैं याद कर लूंगा........! -
हमारे दर्मियां, बस रह गया, यही रिश्ता ग़ज़ल बाकीकभी तू याद कर लेना, कभी मैं याद कर लूंगा........!