Samrat   (pain with pen✒1111)
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Joined 19 December 2019


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17 HOURS AGO

सब से ज़्यादा मज़ा है
नीचे देखते हुए चलने में
और नीचे गिरी हुई हर
सुन्दर चीज़ को सुन्दर कहने में

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YESTERDAY AT 0:07

मुकम्मल न सही
अधूरा ही रहने दो हसरतों को
ये कशिश है बस कोई मकसद तो नहीं
इसे एक तरफा ही रहने दो ...
होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफा चीज़
याद तो आते है , पर याद नही करते
मोहब्‍बत हो गई है अब अकेलेपन से,
इस आदत को
ये बात को रहने दो...

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4 OCT AT 19:52

एक अच्छे आदमी की तरह
एक अच्छा गाँव भी
एक बहुचर्चित गाँव नहीं होता.
अपनी गति से आगे सरकता
अपनी पाठशाला में सीखता
अपनी ज़िन्दगी के पहाड़े गुनगुनाता
अपनी खड़िया से
अपनी सलेट-पट्टी पे
अपने भविष्य की रेखाएँ उकेरता
वह एक गुमनाम क़िस्म का गाँव होता है

अनुशीर्षक

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3 OCT AT 23:38

सुन बिटिया
है इन्तजार हमको भी...
स्कूल से छुट्टी की,
लेकिन तू ठीक तो है...?
कठिन राह मे,मै तुम्हारे साथ हुं
लेकिन सब सही तो है...?
हो अगर कोई मुश्किल घड़ी
तुम अपना ख्याल रखना
लेकिन तबियत सही तो है..?
कभी किसी राह मे अपने को
अकेला महसूस मत करना
अच्छे दोस्त क्या कुछ बने नहीं है..?
काँटे भरी राह पर,
ज़िन्दगी आसान नहीं
मेरी रानी बिटिया
क्या कुछ तुम्हे मुझे कहने को है ....??

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2 OCT AT 23:58

तू "माँ" हैं ना
तुझे देख कर,
मेरे जीवन में सकूँ सा
आ जाता....
क्या व्यक्त करुँ "माँ"
के बारे में
कि दूर ऊपर से देख रही थी,
हाल चाल मेरा पूछ रही थी....
रख मेरे सिर पर हाथ
मेरे गालों को सहला रही थी
पूछ रही थी बड़ा
कमजोर हो गया,
क्यूँ नहीं रखता
अपना खयाल.....???

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2 OCT AT 20:52

शास्त्री जी की एक 
सबसे बड़ी विशेषता थी कि
'वे एक सामान्य परिवार में पैदा हुए
सामान्य परिवार में ही
उनकी परवरिश हुई ....
और जब वे देश के
प्रधानमंत्री जैसे
महत्त्वपूर्ण पद पर पहुंचे,
तब भी वह सामान्य ही बने रहे
विनम्रता सादगी और
सरलता उनके व्यक्तित्व
में एक विचित्र प्रकार का
आकर्षण पैदा करती थी...

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2 OCT AT 20:29

मंत्रशक्ति रूपेण
देवि त्वं रक्षां कुरु नमोऽस्तुते
अग्नि यंत्र-मंत्र:
अग्निशस्त्र नमोऽस्तुदूरत:
शत्रुनाशन...
शत्रून्दहहि शीघ्रं त्वं
शिवं मे कुरु सर्वदा इयं
येन धृताक्षोणी हतश्च महिषासुर:

@ शस्त्र पूजन

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1 OCT AT 21:21

सरकारी अस्पतालों में
आवश्यक दवाओं को
मुफ्त उपलब्ध कराने की
योजना शुरू की है.....
लेकिन....
डॉक्टर कहता है
दूध से दवा खाने से
मर्ज़ तेज़ी से ठीक होगा
और रोज़ आधा किलो
मौसम्बी का जूस पीने से
और तेज़ी से…ठीक होगा
गरीब पूछना चाहता था
केवल पानी पीने से
कितना तेज़ी से ठीक होगा
जैसे-तैसे गरीब दवा लेकर
घर आ गया
दूध की दवा पानी से खाता रहा
और अपनी लगातार
मद्धिम होती दृष्टि से
मौसम्बी का फल देखता रहा...

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30 SEP AT 21:39

धूल फांकती रहती हैं...
लिपटी हैं फ़ाइलें, कागज़ों में.....
कहते हैं सिस्टम सुधर रहा है,
पेपरलेस दौर है भाई...
पर फाइल सिस्टम तो
नीचे दबा हुआ है,
देशभक्ति अवसर बना नहीं,
जनता खड़ी है लाइन में,
पर अफसर का मूड बना नहीं,
चाय ठंडी हो गई, बिस्किट गिर गया,
अब फुरसत का बहाना सही
सीढ़ियों पर बैठा सिस्टम,
सोच रहा मन मारे,
कभी फ़ाइल दौड़ती नहीं,
कभी जनता रुकती नहीं....

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29 SEP AT 20:10

दिहाड़ी मजदूर
जब भी बीमार हुआ
फ़ौरन गाँव की रेल पकड़ी
शायद वो उस जगह पर
मरना नहीं चाहता था
जहाँ लोग जीते जी मर रहे थे
और मरते हुए जी रहे थे...
वो उस जगह पर
मरना नहीं चाहता था
जहाँ ‘मरने’ शब्द का
अर्थ.. किसी को कोई
फर्क नहीं पड़ना
होता था.....

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