Samrat   (pain with pen✒1111)
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Joined 19 December 2019


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2 HOURS AGO


मध्यमवर्गीय
परिवार के
शादी में
इश्क़ तो नहीं होता
ज़रूरत
जो थोपी जाती,
जैसे उपला
दीवार पर...
और
बड़े शौक से
बोल दिया जाता है
शादी में ज़रूर आना....

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21 HOURS AGO


जो लोग अपनी
गलती नहीं मानते हैं,
वे किसी को अपना मान सकते हैं क्या...

अनुशीर्षक for
नकारात्मक व्यक्ति....

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YESTERDAY AT 15:03

ईट-पत्थर जोड़कर
जो बस्ती बना जाते हैं,
धूप-बारिश में भी जो
अपना फर्ज निभा जाते हैं,
उन हाथों को सलाम है जो
सबके सपने सजाते हैं,
मजदूर हैं वो, फिर भी दुनिया को
खुशियां दे जाते हैं
आज का दिन है उनको
सलाम करने का,
उनके संघर्ष को नाम देने का
श्रमिक दिवस है
सिर्फ त्योहार नहीं,
ये तो मेहनत की इज्जत
तो इजहार ही सही....

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YESTERDAY AT 11:09

“हित-वचन
नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य
न पहचाना,
तो ले, मैं भी
अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प
सुनाता हूँ।
याचना नहीं,
अब रण होगा,
जीवन-जय या
कि मरण होगा।
“टकरायेंगे नक्षत्र-निकट
बरसेगी भू पर
वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल
मुँह खोलेगा।
दुर्योधन रण ऐसा होगा,
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
तरसोगे,  तड़पोगे,  भिक्षा भी मांगोगे 
परंतु कोई नहीं सुनेगा"

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YESTERDAY AT 0:06

I'm so proud
Sorry
We all so Proud of you
and all your
accomplishments.
Congratulations on
this exciting
new beginning....

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30 APR AT 12:06

अक्षय रहे सुख आपका,😌
अक्षय रहे धन आपका,💰
अक्षय रहे प्रेम आपका,💕
अक्षय रहे स्वास्थ आपका,💪
अक्षय रहे रिश्ता हमारा 🤝
*अक्षय तृतीया* की आपको
और आपके सम्पूर्ण परिवार को
हार्दिक शुभकामनाएं🙏

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29 APR AT 23:25

हमने अपना धर्म निभाया
आप ने सिर्फ और सिर्फ
चरित्र पे दाग लगाना ही जाना
पुरानी बातों को टौंट मIरना ही सीखा
सहानुभूति का ढोंग ही समझा
जब आप की काली करतूत
सामने आये.... हम ख़ुद ही को
खत्म करना ज्यादा बेहतर समझा
धोखे का दर्द शायद मौत के दर्द से
कहीं ज्यादा था...कसूर ये था
हम चाहने लगे थे आप को....

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29 APR AT 13:38

श्री कृष्ण कहते है
कोई तुमसे तंग हो जाए तो
उसे छोड़ दो किसी की ज़िंदगी में
बोझ बनने से अच्छा है
याद बन जाओ 
पर हर रण बेखोफ लडो
मृत्यु से पहले मृत्यु
नहीं होने वाला
तो फिर भयभीत होना
व्यर्थ ही हुआ ना....
🍁🌹🍁

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29 APR AT 0:09

कहा उसने
तुम बहुत प्यारी हो....
और पृथ्वी सिकुड़ कर
एक शब्द बन गयी
उसने चेहरे पर फेरी उंगलियाँ
नदी सिकुड़ कर एक
लकीर बन गयी...
उसने बालों को सहलाया
सारी पत्तियाँ झड़ कर एक पंक्ति
बन गयी...
उसने हाँ कहा
आशाओं का पूरा आकाश
एक विलुप्त भाषा फिर से उभर गयी
फिर एक दिन उसने उठायी उँगली
उस दिन सुंदरता का
अंतिम चरण था.....

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28 APR AT 20:08

ज्यादातर,
जो ज्ञान हम दूसरों को देते हैं,
हम खुद उस पर कभी अमल
नहीं कर पाते हैं...
हम औरों की बात नहीं जानते
मगर हमारे जीवन के सिद्धांतों में
यह कहीं नहीं है कि जिस सलाह
पर हम अमल नहीं कर सकते
उसे दूसरों को क्यों ही
बांटते फिरें.....

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