sampurnanand nagar   (sampurnanand nagar)
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Joined 17 September 2019


Joined 17 September 2019
29 NOV 2023 AT 11:49

दिल मे इतना मलाल पाल बैठे हो
बेवजह इस तरह बेजान सा क्यूं ऐंठे हो?
ऐंठ जाना तो फितरत है "पाषाण" मुर्दों की
तुम तो जिन्दा हो यार इस तरह फिर कैसे हो?

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17 SEP 2022 AT 18:21

खिलौना टूट जाता है, तब भी दिल में कसकता है। किसी का दिल खिलौने की तरह क्यों तोड़ देते हो?

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12 SEP 2022 AT 23:25

जब जिंदगी पूर्णतया अंधेरों से घिरी हो,
तब भी रोशनी के लिए प्रयास नही छोड़ना चाहिए।

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15 AUG 2022 AT 6:12

तुम्हें जैसी भी लगे,पर मेरी तहजीब यही है
तुम तोड़ते ही रहे और मैं जोड़ता रहा।

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3 JUN 2022 AT 7:11

राह मुश्किल भी है आसान भी है जिंदगी की,
ये तुम पर है कि इस पर किस तरह तुम चलते हो।

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3 JUN 2022 AT 6:54

राह जब चलोगे तो ठोकरें भी लगेंगी ही।
उनकी परवाह किए बिना निकलना होगा।

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3 JUN 2022 AT 6:31

दिल के टुकड़ों को यूँ ही,राह में ना बिखरने दो।ये दुनिया पाँव तले रौंदकर निकल जाएगी।

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26 MAY 2022 AT 16:21

मैंने खाई है कसम खुद को मिटा देने की,
रोशनी के लिए दीये को जलना पड़ता है।

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26 MAY 2022 AT 15:14

क्यों मनाते हो किसी की बर्बादियों का जश्न ? मनाना है, तो जश्न अपनी आबादी का मनाओ।

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20 MAY 2022 AT 8:18

नफरतों के साए में जीओगे आखिर कब तलक?
भर लो हृदय को प्रेम से जीवन सँवर जाएगा।।

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