Samikshya Sarangi   (समीक्षा)
36 Followers · 34 Following

Joined 19 October 2018


Joined 19 October 2018
14 OCT 2022 AT 1:42

अज़ीब कैफ़ियत है ज़िंदगी भी
समझने से पहले ही बदल जाती है
कुछ पल हँसाती है कुछ पल रूलाती है
पर हर एहसास का स्वाद जरूर चखाती है ।।

-


1 SEP 2022 AT 22:48

सूरतों से अज़ीज़
रंगतों से अनजान ।
बनते बिगड़ते रिश्तों कि
यही सही पहचान। ।

-


25 JUL 2022 AT 19:05

कुछ शामें कुछ ख्वाहिशें
कुछ बातें कुछ फरमाइशें ।
कुछ कोरा कुछ रंगीन
कुछ अल्हड़ कुछ अविचल ।
है ज़िन्दगी के हर पल ।।

-


6 NOV 2019 AT 21:39

एक रोज़ मदहोश आंखों में इस कदर बेबसी छाई
लम्हे भर के लिए जैसे दिल से धड़कन बिछड़ गई।
गर्म साँसों के पीछे जैसे लाखों ख्वाब जल गए
मगर नम आँखों ने कतरा भर आंसू भी न गिराए । ।

-


20 MAR 2019 AT 20:37

कभी खुशियों का आश्मान नजर आता है
तो कभी दर्द का एक दरिया ।
बोल नहीं पाते लफ़्ज़ दर्द अपना
बस ये कलम ही है इकलौता जरिया ।।

-


8 MAR 2019 AT 10:22

अपने जीवन का अर्थ तू औरो से है मांगती
निरर्थक है तुझ बिन संसार क्या तू नहीं जानती ।
तेरे स्वच्छंद सपनों को भले करदिए चूर
पर धरती पर हर अंकुर की तू ही इकलौती नूर ।

सृजन भूमि हे तू हर नई आशा की
अविराम आरंभ है नई पीढ़ी नई परिभाषा की ।
बतलादे औरत की परिभाषा सारी मानवता को आज
तेरे बलिदानों के सामने नतमस्तक हो समाज ।।

-


6 MAR 2019 AT 0:28

फौजी के खिलाफ आवाज बर्दाश्त नहीं होती अब ।
देश तो स्वतंत्र हे पर आजादी मिलेगी कब ।।

रुखसत होते है घर से सर पर कफ़न बांधे ।
अपनी फिकर न करके हर सरहद को लांघे ।।

फिर उठी हर आंख को वो झुका कर आए ।
फिर भी हम उनका ना शुक्रिया अदा कर पाए।।

-


5 MAR 2019 AT 13:11

मोहलत कम है ज़िन्दगी की
हर्फ बहुत है बयान करने को ।
सांसें कभी रूठ गई जो हमसे तो
लफ़्ज़ बुन लाना हमें सजाने को ।।

-


4 MAR 2019 AT 10:40

मुलाकात तो आपसे हुई थी
आज मुकमल रिश्ता हुआ ।
कुछ दुनिया की मजबूरी थी
आज कबूल हुई है दुआ।।

रस्मों रिवाज के बंधन से
आज जुड़ गए हम ।
साथ ये हमारा ना छूटे
रहे यूंही ये जनम जनम ।।

-


27 FEB 2019 AT 11:15

Dhokhaa dene k baad hi kyun log mouke ki talash karte h.....
Rishta todne k baad hi kyun fir mohabat ka izhaar karte h...
Na Milne ki umeed rakhne waale fir Milne ki fariyaad karte h...
Kisi roz jisse thukraya tha fir usse apnane ki baat karte h...

Na jaane ye kyun nahi samjhte Dil k rishte bade naazook hote h....
Jo ek baar toote to fir kabhi naa judd paate h...

-


Fetching Samikshya Sarangi Quotes