ये सर्द हवाएं ये ओस की बिखरन
दिसम्बर को आहट हुई
जनवरी के दस्तक़ की।-
When your life doesn't go on the right track.....
Then something precious is hidden for you on another track.-
कोई मुझसे मेरी बेबसी का आलम न पूछे ज़नाब
इन बेदर्द सितमगारों ने "अपना" कहकर क़हर ढ़ाया है!-
बहुत सुक़ून से गुज़र रही है ज़िंदगी
आओ ईश्क़ करे, बर्बाद होते हैं!-
खुश हो जाऊं या रो दूं,बोल मन तुझसे क्या कह दूं
दिल की तड़प बुझती नहीं, तुझसे लगन लगती नहीं
प्रीत की रीत निभती नहीं,बोल मन तुझसे क्या कह दूं
यादों के ढ़ेर ने दिल को रुलाया है
मन मेरा व्यथित मुझे बहुत तड़पाया है
बुझन से बुझती नहीं, जल उठती अगन जलती रही
प्यास जीवन में एक हद तक लगी
प्रीत तुमसे मेरे मन की मिल न सकी
तुम रूठ गये प्रिय मुझसे अब ये बात रही न रही
तड़पन,अगन ऐसी लगी मन की बुझाये न बुझी
आंखों से झर झर पानी बरसे,मेघ बादल बन कर गरजे
रुत मिलन की अधूरी रह गई,मन से तेरी बात क्यों न गयी। प्रीत हमारी प्रिय अधूरी राग की रागनी पूरी
खुश हो जाऊं या रो दू बोल न मन तुझसे क्या कह दूं।-
शज़र काट कर धूप बोते हो
धूप के सफ़र में छाँव संजोते हो
मुमकिन कहाँ हवा का कैफ़ी हो जाना
बिन दरख़्तों के साँसों में घुल जाना
अब तो सायें भी छांव ढूंढते हैं
शज़र कहाँ सरेआम दिखते हैं
अब क़स्द कर जीने की तू भी यूँ ही
क्या ख़बर टूटी शाख मिले तुझे यही कहती हुई।-
कह दो इस आसमाँ से चाहे हज़ार बर्क़ गिरा लें
पर इन बर्क़-ए- आबी निगाहों के सामने नाकाफ़ी है।
बर्क़-बिजली-
न जाने कैसी वबा आयी है
किस अज़ाब का हिसाब लायी है
दूर हो गए अहबाब एक दूसरे से
अब हवा भी खुदगर्जी पर उतर आई है।
वबा-बीमारी
अज़ाब-दुख
अहबाब-दोस्त
हवा-ऑक्सीजन-
वो मेरी जिंदगी में बस
गुलाल बन कर रह गया
पल भर के लिए मिला
फिर रंग उतर गया।-
सुकून मिल ही जाता है
अब तेरे ना होने से भी
तेरी यादों और तस्वीरों का
साया साथ रखती हूं।-