Samiksha Tiwari  
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Joined 20 March 2020


Joined 20 March 2020
31 DEC 2021 AT 19:35

ये सर्द हवाएं ये ओस की बिखरन
दिसम्बर को आहट हुई
जनवरी के दस्तक़ की।

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28 OCT 2021 AT 17:00

When your life doesn't go on the right track.....
Then something precious is hidden for you on another track.

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15 AUG 2021 AT 19:09

कोई मुझसे मेरी बेबसी का आलम न पूछे ज़नाब
इन बेदर्द सितमगारों ने "अपना" कहकर क़हर ढ़ाया है!

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10 AUG 2021 AT 15:46

बहुत सुक़ून से गुज़र रही है ज़िंदगी
आओ ईश्क़ करे, बर्बाद होते हैं!

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10 AUG 2021 AT 15:39

खुश हो जाऊं या रो दूं,बोल मन तुझसे क्या कह दूं
दिल की तड़प बुझती नहीं, तुझसे लगन लगती नहीं
प्रीत की रीत निभती नहीं,बोल मन तुझसे क्या कह दूं
यादों के ढ़ेर ने दिल को रुलाया है
मन मेरा व्यथित मुझे बहुत तड़पाया है
बुझन से बुझती नहीं, जल उठती अगन जलती रही
प्यास जीवन में एक हद तक लगी
प्रीत तुमसे मेरे मन की मिल न सकी
तुम रूठ गये प्रिय मुझसे अब ये बात रही न रही
तड़पन,अगन ऐसी लगी मन की बुझाये न बुझी
आंखों से झर झर पानी बरसे,मेघ बादल बन कर गरजे
रुत मिलन की अधूरी रह गई,मन से तेरी बात क्यों न गयी। प्रीत हमारी प्रिय अधूरी राग की रागनी पूरी
खुश हो जाऊं या रो दू बोल न मन तुझसे क्या कह दूं।

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5 JUN 2021 AT 21:41

शज़र काट कर धूप बोते हो
धूप के सफ़र में छाँव संजोते हो
मुमकिन कहाँ हवा का कैफ़ी हो जाना
बिन दरख़्तों के साँसों में घुल जाना
अब तो सायें भी छांव ढूंढते हैं
शज़र कहाँ सरेआम दिखते हैं
अब क़स्द कर जीने की तू भी यूँ ही
क्या ख़बर टूटी शाख मिले तुझे यही कहती हुई।

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11 MAY 2021 AT 12:36

कह दो इस आसमाँ से चाहे हज़ार बर्क़ गिरा लें
पर इन बर्क़-ए- आबी निगाहों के सामने नाकाफ़ी है।

बर्क़-बिजली

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4 MAY 2021 AT 21:56

न जाने कैसी वबा आयी है
किस अज़ाब का हिसाब लायी है
दूर हो गए अहबाब एक दूसरे से
अब हवा भी खुदगर्जी पर उतर आई है।

वबा-बीमारी
अज़ाब-दुख
अहबाब-दोस्त
हवा-ऑक्सीजन

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31 MAR 2021 AT 20:23

वो मेरी जिंदगी में बस
गुलाल बन कर रह गया
पल भर के लिए मिला
फिर रंग उतर गया।

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24 MAR 2021 AT 21:27

सुकून मिल ही जाता है
अब तेरे ना होने से भी
तेरी यादों और तस्वीरों का
साया साथ रखती हूं।

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