उसी में बसी मेरे ख़्वाबों की मूरत थी !
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samiksha jain
(Samiksha jain)
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Joined 7 January 2019
20 APR 2021 AT 22:38
इक़रार की जग़ह इंकार करने को जी चाहता है ,
पाया ही नहीं जिसे , उसे खोने को जी चाहता है!-
17 APR 2021 AT 22:52
,
यूँ हमसे रूठकर ना जाया कर ,
ख़ुशी में तो हर कोई रहता है साथ मेरे ,
दर्द आँखों से ना बहे तू साथ निभाया कर !
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17 APR 2021 AT 0:12
तेरा वो वक़्त जो मेरा हुआ करता था ,
तेरा वो प्यार जिस पर सिर्फ मेरा हक़ था !-
16 APR 2021 AT 23:57
जितनी थी खुशियाँ सब मिल गई हैं ,
बस एक तुम हो जो मिलते नहीं !
साया भी तेरा है दूर हमसे ,
हम हैं जो तेरे बिन चलते भी नहीं !
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15 APR 2021 AT 22:49
जिसे देख
उम्मीद का दीपक जलता है ,
बंद पड़ी इस ज़ुबां का ताला
इक तेरे सामने ही खुलता है ,
मेरे डगमगाते हौसले में उड़ान
बस तू ही तो भरता है ...!
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14 APR 2021 AT 0:09
अर्ज किया है
जिसे चाहा ,उसी ने अनचाहा कर दिया -2
दिमाग़ के खेल ने ,आज फिर मनचाहा कर दिया!-
12 APR 2021 AT 10:16
तुम नीर से चंचल हो, मैं शीतल हवा सी ,
तेरा मेरा साथ मुक़म्मल हो, मैं माँगूं यही दुआ सी ...!
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