पकी उम्र में कच्चा इश्क़ किया फिर जाना
कच्ची उम्र का इश्क़ कितना पक्का होता है
-
इक लम्हा मिला आज रूठा हुआ सा मुझको
गोद उठाकर उसको मैं अपने घर ले आया
-
रहे बैठे महफ़िल में मगर, उदासी न जा सकी
खंगाले तमाम जिस्म ,रूह तलाशी न जा सकी
-
सुना है रिश्ता मोहब्बत का
सात जनमों का होता है
मुतमईन हम यही सोंचकर हुए जाते है
के जनम ये पहला होगा
शिक़वा गिला मुझसे, तुमको हो गर
तो बेशक़ इसे जनम सातवां समझ लेना
(माँ की सीख)
-
क्षण-क्षण के सूत जोड़कर
मैंने इंतज़ार बुना है प्रियतम
एक बार आकर बतलाओ तो
ये इंतज़ार मुझपर कितना जचता है प्रियतम-
इक तस्वीर हुआ करती थी
अब फ़क़त फ्रेम टंगा है
फ़रार हो गयी
जो याद रहा करती थी
चार दिवारी में
-
कमरे में मेरे मजमा लगा रखा है
ख़ामोशियाँ इतना क्यों शोर करतीं हैं
रौशनी की ज़बरदस्ती देखो रौशनदानों से
घुसने की हिमाक़त पुरज़ोर कारतीं हैं
-
नब्ज़, धड़कन-ओ-साँस जाने क्या-क्या चले है
ठहर कर ख़ुद को सुनु हूँ तो पता चले हैं
तेरी एक आहट सी आयी थी मेरे कानों तक
और सारा ज़माना कहे है कि हवा चले है
-
नब्ज़, धड़कन-ओ-साँस जाने क्या-क्या चले है
ठहर कर ख़ुद को सुनु हूँ तो पता चले हैं
तेरी एक आहट सी आयी थी मेरे कानों तक
और सारा ज़माना कहे है कि हवा चले है
-
तुम्हारा जाना मुझ पे जाने क्या असर कर गया
मैं तो स्टेशन पर ही हूँ, बदले में जाने कौन घर गया
-