कुछ हमसे छूट गया,
कुछ हमने छोड़ दिया..-
》Writer
》Instagram : @sameeksha_saral
》sensitivity is the key of humanity.
saw you in my dreams,
cuz now you are not in the list of my fantasies.-
तुम्हारें पैरों से मौजे नहीं छूटते और कानों से मफ़लर/स्कार्फ़,, वो तो हाथों में भी ग्लव्स पहनें होते अगर मोबाइल के टच पर उसका कोई असर ना होता,,
खैर उसका भी इलाज है कईं लोगों के पास पर उस इलाज के ज़्यादा बेनीफिट्स नहीं है!!
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मैं जब अपने गाँव आती हूँ तो देखती हूँ अपनी माँ को सर्द भरी शाम में खेत को पानी देते हुए.., कीचड़ में सने पैर,कपकपाते हाथ..इस स्ट्रगल का अहसास मात्र मेरे मन की परतों पर ज़ोर से चपत लगा जाते हैं,,
शॉल ओढ़े किसी कौने में दुबकी मैं, चाह कर भी कुछ ना कर पाती क्योंकि ना मुझमें इतनी हिम्मत है कि उनका हाथ पकड़ कर रोक लूँ और ना ही इतनी मजबूती कि ख़ुद उनका हाथ बटा सकूं..
बस मेरे पास एक विकल्प बचता है कि माँ के आते ही उनके हाथ में चाय का कप थमा दूं और फ़िर इस चाय की गर्मी से उनकी आँखों में एक चमक देख सकूँ, जो मेरी नाकामी पर ( कुछ देर ही सही पर) एक पतली सी परत चढ़ा देती है..
-समीक्षा सरल-
एक ऐसी क्रिया जो सबसे अधिक जानलेवा है,
वो है..
स्वयं की किसी ऐसे व्यक्ति से तुलना करना,
जिसकी परिस्थितियां तुम्हारी
परिस्थितियों से हमेशा विपरीत रही हो..-
उदासी और ख़ुशी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है
उदास होना हमेशा नकारात्मक होना नहीं है..-
तेरे बुजुर्ग तेरे साथ तेरे घर होते
चराग़ तेरे मकां में भी मुनव्वर होते-
किसी के जाने को "भूल जाना" या उस जाने को "स्वीकार" कर लेना इन दोनों ही क्रियाओं से ख़ुद को बचाने का आसान तरीका है बीच की गली लेकर ख़ुद को distract कर लेना..
(Read captain....)-
छोड़ जातीं हैं कईं सवाल,
मन गढ़ता है जिनके भिन्न-भिन्न जवाब..और पुनः हर एक जवाब से उपजते हैं कईं अनगिनत सवाल..-
थकान होने लगी है वो भी ऐसी मंज़िल के सफ़र से जिसका तसव्वुर तक बमुश्किल हो पाता है..
१२-०७-२१-