कुछ बच पाये तो बचाके रख लेना
हो सके तो अपना बनाके रख लेना-
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यह आदत सीखी शायद इसने तुझी से
यह आयना मेरा हाल पूछता है मुझी से-
मिलते है चलो उसी मोड़ पर ज़िंदगी के ।।
हम प्लेटफार्म पर तुम वही रेलगाड़ी पे ।।-
हम तो वही हैं तेरा ही नया जमाना आया है
हमको तो अब जाके झूठ उठाना आया है
हाथों में हाथ वो नजरें नजरो में वाला वो इश्क़
हमसे सीख कहीं और बखूबी दिखाना आया है ।।
तब आशिक़ थे शायर थे जो था सब उड़ा दिया
अब संभले है इज्जत को थोड़ा बचाना आया है
सुना है उसके ससुराल हवाई अड्डा भी है अब तो
उदर जा आने का शायद इशारा शायद बहाना आया है
तेरे शहर में तो हमारा नाम अब भी नहीं पता
सब यही कहते है ‘उसका’ दीवाना आया है ..
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कुछ हो कहने को तो जरूर बताते जाना तुम
हमारे शहर आयो तो समोसे खाते जाना तुम
हमें तो कहाँ मिलोगे हमें मालूम है
दर-ए-मुराद के सर झुकाते जाना तुम ..-
कोशिश करो, शायद बातचीत हो जाए ।
इस दफ़ा दोस्ती की नीयत हो जाए ।
जारी रखते हैं हम, मुलाक़ात का सिलसिला
नाम हमारे क्या पता, कौनसी तारीक हो जाए ।।
करते रहो कोशिश, शायद बातचीत हो जाए ।।-
मिलने जुलने की ही तो अब चाहत है।।
बिरयानी से क्या कौम की बगावत है।।
शाम को तुम्हारे यहाँ घर आएं क्या..
सुना कि जशन-ए-ईद की दावत है ।।-
ਟੁੱਟ ਚੁਕਾਂ ਦੁਨੀਆ ਦੀਆਂ ਠੋਕਰਾਂ ਤੋਂ
ਕੁੱਛ ਹੌਂਸਲਾ ਦੇ, ਹਿੰਮਤ ਜਹੀ ਭਰਦਾ ਰਹਿ...
ਇਕ ਉਹ ਗਲਬਲ ਬਚੀ ਬਾਪੂ ਤੇਰੇ ਵਲੋਂ
ਕੇ ਜੋ ਕੀਤਾ ਮੈਂ ਘੈਂਟ ਕੀਤਾ, ਬੱਸ ਇਹੀ ਕਰਦਾ ਰਹਿ..-
अजब है दास्तां उनको यह भी नही पता
कि गुजरे हैं उनकी गली से हम ताजा ताजा-