वो मुझमें बेइन्तहां था मैं उसमे ज़रा भी नहीं
और उसे इस बात का कोई गिला भी नहीं
ख़ामोश जा रहा था वो मुझे छोड़कर
कई बार पुकारा उसे पर वो मुड़ा भी नहीं
तुम कहती तो हथेली पर जान रख देता
मेरा सब कुछ तेरा था और तुझे पता भी नहीं
खो गया है वो इस जहाँ की भीड़ में कहीं
अब उस तक पहुचने का कोई रास्ता भी नहीं
लोग कहते है क्या रोग लग गया "कान्हा" को
दुआ भी काम आती नहीं और दवा भी नहीं
-
मैं जैसा हूँ बस वैसा ही रहूँ
उसे इश्क़ में ना कोई हिसाब चाहिए
बस मुझे ऐसा ही माहताब चाहिए
उसे महँगे तोहफ़ों का शौक़ नहीं
जब भी मिलूँ उसे गुलाब चाहिए-
पास बैठकर वो मेरी ही बुराई करता है
इस इश्क़ में हमें क्या-क्या सुनना पड़ता है-
अब तू आये भी तो क्या मैंने इश्क़ करना छोड़ दिया है
तेरी बिंदिया, झुमके तेरे पायल पर मरना छोड़ दिया है-
गौर से देखो कहीं तो इश्क़ होगा
तू जहाँ है वहीं तो इश्क़ होगा
धीमी आँच में चढ़ाया है इश्क़ को
धीरे ही सही उन्हें भी तो इश्क़ होगा-
चेहरे पर पड़ी ज़ुल्फ़ हटा के रुख़सार ठीक करना है
चुम के तेरे माथे को तेरा बुखार ठीक करना है ❤️-
मेहंदी रंग ना आये तो कहती है तुम प्यार नहीं करते
Local मेहंदी लगाकर मेरे प्यार को तोला ना करो-
अब ये दुबारा होने नहीं दूँगा
एक वादा ख़ुद से किया है मैंने
तेरे बग़ैर जो वक़्त जिया है मैंने
जितने भी दर्द तुझे दिया है मैंने
अब ये दुबारा नहीं होने दूँगा
जो भी अश्क़ तूने बहाया है
जितना भी तुझे सताया है
मैंने हर बार तुझे रुलाया है
अब ये दुबारा नहीं होने दूँगा
मेरा हर वक़्त अब सिर्फ तेरा रहेगा
सूरज ले आऊँगा जब अंधेरा रहेगा
मेरे दिल में तेरा ही बसेरा रहेगा
अकेलापन जो तुझे घेरा रहेगा
अब ये दुबारा होने नहीं दूँगा
-