Sambhav Jain   (Nakedbythoughts)
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बैठे बैठे मैंने उसके साए को नंगा कर दिया
हकीकत में नहीं, मैंने ख्वाब में जुर्म कर दिया।
Joined 12 January 2018


बैठे बैठे मैंने उसके साए को नंगा कर दिया
हकीकत में नहीं, मैंने ख्वाब में जुर्म कर दिया।
Joined 12 January 2018
14 SEP 2022 AT 19:51

मंसूबे कुछ भी हो, हमको उससे क्या
सोचते हो हमारे बारे में, हमको से क्या
सुन लो हमारे दिल की भी
तुम्हारे दिल में क्या है, हमको उससे क्या।

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21 FEB 2022 AT 19:43

जितना लिखता हूं, उससे कई ज्यादा मिटा देता हूं ।
खुद को कागज़ पर उतार फिर हटा भी देता हूं।
न जाने कौनसी बीमारी सी हो गई है
मैं खुद को खुद से ही अनजान रखता हूं।

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25 OCT 2021 AT 0:52


हज़ार पल है,
हर एक को उतार सकता,
गर स्कूल की किताब का आखरी पन्ना होता,

वो आखरी पन्ना याद आता है,
मुझे स्कूल जाना याद आता है।

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16 OCT 2021 AT 11:35

चंद लोगों की यादों में यादें बन गया हूं,
भुला सके ऐसी कहानी बन गया हूं,
मैं पानी हूं,
जैसे अंदर समाया था,
वैसे बाहर बह भी जाऊंगा,
फिर किसी और के अंदर समा जाऊंगा।
पानी हूं तब तक पा सकते हो,
हीम बना तो हिला भी नही पाऊंगा।

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21 SEP 2021 AT 1:35

दो हाथ जोड़ कर,
शीश झुका कर ,
खड़े हैं समक्ष आपके,
भूल गर कोई हो हमसे,
या हमने दुखाया हो दिल आपका,
अनजाने में या जानकर ,
किया हो अपमान आपका,
इस क्षमावाणी पर्व पर
हमको क्षमा करें।

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19 SEP 2021 AT 21:49

कहना चाहेगा गर कुछ सच्चा,
कह न पाएगा वो बच्चा,
मौन रहना है आदत उसकी,
कैसे उठा पाएगा उंगली अपनी,
गर कोशिश वो कर भी लेगा,
दो कदम आगे वो भाड़ा भी लेगा,
कीच लोगे तुम सब उसको,
कह के ये क्या कर रहे हो बच्चे हो तुम तो।

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17 SEP 2021 AT 21:45

सब पता है,
कैसे वो हमे अपना करके फिर छोड़ देते है,
और इस सब के लिए हम किसी तीसरे को जिम्मेदार ठहरा देते है,
और इंतजार करते है किसी चौथे का ,
की वो आए, वो आए हमको निखारे,
फिर एक दिन अपना करके छोड़ दे और ये बस चलता ही जाए और चलता ही जाए,
सब पता है, लेकिन अब इसको सही या गलत नही कहे सकते,
ये ज़िंदगी की ऐसी ज़रूरत बन गई हैं
गर ये ना हो तो मैं ना हूं
और ये हो तो ऐसी बात हो।

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1 SEP 2021 AT 7:58

नम आखें, खाली हाथों में,
सपने लिए बैठे है,
कुछ अपने , कुछ अपनो के,
पूरे करने चले है,
एक जमात है जो सही गलत का हिसाब लगा रही होगी,
उनको पास बुलाओ, दिखाओ
दिखाओ की,
हर एक मोड़ पर खुद को अकेला पाते है,
वक्त दर वक्त खुद से सवाल करते है,
और जवाब में सिर्फ ख़ामोशी मिलती है,
डर लगता है, छोड़ सब भाग जाना चाहते है।
ये ख़ामोशी सिर्फ मुझे सुनाई दे रही है,
या कोई और भी है यहां मेरी तरह।

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31 AUG 2021 AT 18:27


कैसे कर लिया था तुमने,
एक तरफ प्रीतम और दूसरी ओर साहिर,
प्यार एक तक सीमित नहीं होता,
ना ही एक तरीके का होता है,
शुक्रगुजार हूं तुम्हारा,
इश्क का एक और खूबसूरत मोड़ दिखाने के लिए।

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31 AUG 2021 AT 0:42

तो दवाई को पीस कर पानी में घोलो और पानी पी लो
और जहां तक झूठ की बात है तो एक कान से सुनो और दूसरे से tata see you bye bye

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