बस इन्ही चीज़ों में रात भर उलझा लिया खुद को...तुम्हे सोचा और याद किया फिर समझा लिया खुद को। -
बस इन्ही चीज़ों में रात भर उलझा लिया खुद को...तुम्हे सोचा और याद किया फिर समझा लिया खुद को।
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बहुत चाहने पर शायद मिल जाती होंगी कुछ चीज़ें मगर बहुत चाहने पर भी मिलते नहीं हैं कुछ इन्सान ये बात मैंने बहुत नाचाहते हुए सीख ली है। -
बहुत चाहने पर शायद मिल जाती होंगी कुछ चीज़ें मगर बहुत चाहने पर भी मिलते नहीं हैं कुछ इन्सान ये बात मैंने बहुत नाचाहते हुए सीख ली है।
कभी सोचा है....भाग रहे हो जिसके पीछे अगर मिल गया तो क्या करोगे।ये जिसे तुम सुकून कहते हो उस से सुकून ना मिला तो क्या करोगे।। -
कभी सोचा है....भाग रहे हो जिसके पीछे अगर मिल गया तो क्या करोगे।ये जिसे तुम सुकून कहते हो उस से सुकून ना मिला तो क्या करोगे।।
जो नहीं आता उसका इतना इंतज़ार क्यूं?उसके लिए अपना ये हाल क्यूं?वैसे तो इस दुनिया मे बहुत सी चीजें प्यारी हैं,पर जो नही मिलता उसी से इतना प्यार क्यूं? -
जो नहीं आता उसका इतना इंतज़ार क्यूं?उसके लिए अपना ये हाल क्यूं?वैसे तो इस दुनिया मे बहुत सी चीजें प्यारी हैं,पर जो नही मिलता उसी से इतना प्यार क्यूं?
मैं दिसंबर, और वो शायद जनवरी थी।पूरे साल का इंतजार केवल तन्हाई थी। -
मैं दिसंबर, और वो शायद जनवरी थी।पूरे साल का इंतजार केवल तन्हाई थी।
मैं अब इसलिए भी शायद याद नहीं करता उसे क्योंकि इन धडकनों का शोर अब रास नहीं आता मुझे । -
मैं अब इसलिए भी शायद याद नहीं करता उसे क्योंकि इन धडकनों का शोर अब रास नहीं आता मुझे ।
कल रात सारे गम आसमान को सुना दिए मैंने आज मैं चुप हूं और आसमान बरस रहा है। -
कल रात सारे गम आसमान को सुना दिए मैंने आज मैं चुप हूं और आसमान बरस रहा है।
कुछ बोलने या बताने का जमाना नही , क्योंकि सुनने वालों की दुनिया समझने वालों की नही । -
कुछ बोलने या बताने का जमाना नही , क्योंकि सुनने वालों की दुनिया समझने वालों की नही ।
जिस्म की दरारों से मेरी रूह नजर आने लगी , काफी हद तक तोड़ गया मुझे इश्क तेरा । -
जिस्म की दरारों से मेरी रूह नजर आने लगी , काफी हद तक तोड़ गया मुझे इश्क तेरा ।
वो एक इंसान मेरे दिल से निकलता नही जिसकी जिंदगी से मैं कबका निकल चुका हूं। -
वो एक इंसान मेरे दिल से निकलता नही जिसकी जिंदगी से मैं कबका निकल चुका हूं।