ऐसें रंग दे की रंग नाही छुटे
ऐसें रंग दे की रंगनाही छुटे...
----- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
छोटीसी जिंदगी मे सुने आपकी कृपा के बहोत किस्से
पर मालिक आप तो बैठे हो मेरे रुह के हर हिस्से...
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
मालिक के भक्त हो तो आप गिरेंगे नही,
ऐसा नही बल्कि गिरेंगे तो स्वयंम मालिक उठाने आयेगे..
---- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
तू है परवदिगार सबका मालिक है तू
तेरी मर्जीसे रोशन है सारा जहा..
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
कितनो की तकदिर आपने सवारी
आज मुस्कराके कह दो आज तेरी बारी...
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
भक्त दिन मी दीनानाथ
तुम्ही शंकर गुरुराया...
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
सबके जानते ओ राज
सबका हल भी महाराज..
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
जहा सर झुके
वहा बन जाये मंदिर
जहा नदी मिल जाये
वहा बन जाये सागर
वैसे ही मालिक
तेरा हात जिधर रखे
वहा मेरा हो सर
जहा तेरा कदम पडे
वहा मेरी ही रुह अक्सर
जहा तेरा वास हो
वहा मुझे रख गुलाम बनाकर
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-
धुंडा सारा संसार मिला न कोय
अंदर झाका तो सब शंकर ही शंकर होय..
--- जय शंकर महाराज
शंकरस्पर्श-