Samarth Agarwal   (Rehbarr)
2 Followers · 4 Following

Joined 25 December 2021


Joined 25 December 2021
5 AUG 2022 AT 16:32

जीते-जी तो हम इज़्हार-ए-उल्फ़त कर नही पाये,
चलो jannat, वही पे "chai pe charcha" करेंगे हम

कमाना इश्क़ की दौलत तो है आसान नही लेकिन
लुटानी तुम पे है jaana तो बस kharcha करेंगे हम

-


3 JUL 2022 AT 3:39

Har ghadi zindagi se haare huye,
Aap hass paa rahe hai..... mubaarak hai,
Log darne se pehle hai marte jahaan,
Aap darr paa rahe hai ......mubaarak hai
Haarna phir bhi ladna, sabke bas ka nahi
Aap ladd paa rahe hai....mubaarak hai
Toofano ne manzil ko ojhal kiya,
raaste mein musalsal andhera kiya
Aap aandhiyon mein bhi deepak jaala paa rahe hai........mubaarak hai, mubaarak hai




-


8 MAY 2022 AT 18:23

कपड़े, किताबें, सब कुछ लिये,
अधूरा-सा मैं निकला
माँ ने सौ का नोट दबाया मुट्ठी में
तब मैं पूरा होके निकला
यूँ तो मुस्कुराकर छोड़ने,
आयी थी बाहर तक
देखा तो माँ की साड़ी का कोना, गीला निकला
कहा दौलत-शौहरत, गाड़ी, बंग्ला चाहिये उसको,
वो तो खुश है इसी बात से,
की उसका बच्चा ठीक निकला।।
Happy Mother's day to my "God in disguise"

-


21 APR 2022 AT 16:48

अधूरी बातें........हाँ वहीं
उन्ही बातों को दिल से लगा रखा है
आती है जिससे, तुम्हारी ज़ुल्फों की खुशबू
हाँ उसी तकिये को सिर से लगा रखा है

-


23 MAR 2022 AT 18:41

कब तक तुम्हारी चाह के कलमें पढेंगे हम,
कब तक ये आसूँ स्याह बन गज़लें भिखेरेंगे

-


18 MAR 2022 AT 23:40

हसाँ नही सकता, तो अश्क़ दे मुझे
मार नही सकता, तो बक्श दे मुझे
मुझे भी उसके चेहरे पर यूहीं खिलने की ख्वाइश है
ए गुलाल, तेरी किस्मत से रश्क़ है मुझे

-


25 FEB 2022 AT 1:54

कभी जो खुद से दूर होने लगो,
तो मेरे पास चले आना
अपनी दिक्कतें, झगड़े,गुस्सा,परेशानी
अकेलेपन को भी अकेला न करना,
उसे भी संग लिये आना

-


17 FEB 2022 AT 19:22

छोड़ कर वो बातें सारी, रातें-वातें सब
प्यार-मोहब्बत, मिलना-जुलना, इशारे-विशारे सब
मुद्दतो बाद बैठा पढ़ने, भूलकर चेहरा उनका
कम्बख्त किताब में भी दबा था गुलाब....बोलो अब

-


10 FEB 2022 AT 0:37

वो ना हो पास तो मेरा दिल नही लगता
मेरी धड़कन की उसकी खुशबू से सगाई थी
आज वो ही मुझे रुला कर कितने खुश है रेहबर
जिनके आँसुओं से मेरी कभी गहरी लड़ाई थी

-


3 FEB 2022 AT 15:28

न भिकेरु चाँदनी उसपर तो चंदा रूठ जाता है
मैं जब बाज़ार को जाऊँ, वो ज़िद चूड़ी की करती है
खुदा जाने, पुराना कंगन कैसे टूट जाता है

लड़ना और झगड़ना क्या,मैं तो कुछ कह नही पाता
वो "सुन ना यार" कहती है तो गुस्सा छूट जाता है

-


Fetching Samarth Agarwal Quotes