Samarpit Maheshwari   (Samarpit maheshwari.)
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Joined 22 December 2017


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Joined 22 December 2017
28 APR AT 11:11

विचारों में जहर उगल रहा है
और विमर्श करने वाले को पता भी नही ।

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16 APR AT 18:50

निगाहों ने जब तराशा है खुद की हरकतो को
आईना भी कह न सका तू और मैं में से सही क्या है।

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14 APR AT 10:38

खुशी एक खाली पन्ना है
जिसको जो समझ आये वो उसमें लिखा देता है।

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9 APR AT 17:35

जिंदगी को थोड़ा हल्का लिया करो
क्योंकि यह आने जाने की बात है
अब बात यह है तुम जिंदगी में भटकते रहते हो
फिर या तो तुम्हें कुछ मिलता है या खो जाता है
लेकिन जब मिलता है तो तुम लालसा करने लगते हो
और कुछ खो जाता है तो तुम दुखी हो जाते हो
क्योंकि तुमने जिंदगी का रस नहीं पढ़ा
जो चीज तुम्हारे पास आयेगी
वो हमेशा तुम्हारे पास नही रहेगी
और या जो चीज खो जायेगी हो सकता है वो तुम्हें बाद में मिल जाए
पूरा खेल संतुलन बनाये रखने का है
सिर्फ यही एक चीज है जो तुमको दुख नही पहुॅचायेगी
या ज्यादा उत्साहित नही करेगी
इसीलिए जिसको जो कहना है जो करना है करने दो
तुम बस वक़्त के साथ ढलते जाओ
और जीवन को जी ते जाओ।

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3 APR AT 18:40

चादर को ओढकर जो दिख रहे है अमीर
पर्दा अगर हट जायेगा उनका तो खुद की नज़र में ही हो जायेंगे गरीब।

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1 APR AT 14:01

ख्याल आता है की
दिन और रात में अलग कौन है
ख्याल आता है की
सोच और हालात में बदनाम कौन है
ख्याल आता है की
प्रेम और पैसों में से जरूरी कौन है
ख्याल आता है की
इज्जत और ईमानदारी में भरोसेमंद कौन है
ख्याल आता है की
झूठ और सच में आगे कौन है
ख्याल आता है की
इंतज़ार और बेचैनी में बेहतर कौन है
ख्याल आता है की
दिखावे और सरलता में से बेबस कौन है
ख्याल आता है की
मैं और तुम में से घमंडी कौन है।

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31 MAR AT 19:27

नज़र भी इंतज़ार करती है की कौन सही है
वो हालात जिसने उसको बदल दिया
या फिर वो नीची सोच जो उसमें पहले से थी।

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30 MAR AT 10:42

दुनिया सारी बात साफ तरीके से कह देती है चाहे गलत हो या सही
पर वो साफ बात सिर्फ अपने मन के लिए नही कहती उसको दूसरों का आईना हमेशा साफ नज़र आता है।

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29 MAR AT 10:46

मैं उलझा हूँ तू को नीचा दिखाने में
और तू उलझा है मुझे समझाने में
और जीत हो रही है आप की थोड़ा सा झूख जाने में।

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20 MAR AT 17:40

यह दोपहर की धूप शाम की समझ को नही पनप पायी
और तुम कहते हो की इनसे पूछ ले की रात की साँसों की गहराई कितनी है।

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