उस भगत सिंह के जज्बे से दुश्मन भी सारे हार गये
जिस उम्र में तुम हो "पब जी" में वो बैतरनी के पार गये।
हो भले ही सब कि उम्र बड़ी,
पर सोच बड़ी हो तो जागो,
हो जन्म भले अज्ञात जगत
जिवन हो बड़ा सुनो जागो.....
अपने जीवन को बड़ा करो,
ये देश बड़ा हो जायेगा,
ये मिट्टी प्यार करेगी
और उददेश्य बड़ा हो जायेगा।।
फिर आयेगा,
फिर आयेगा एक दिन जब तुम भी चमकोगे दिनकर होकर
जब ज्ञान कि प्यास बुझानी है तो चलो चलें बंजर हो कर।।
बंजर हो के सीखो-जानो, बस रहे प्यास कि एक दस्तक,,
फिर बढ़ोगे अपनेआप, जमाना होगा आगे नतमस्तक।।-
Who picks his contents from personal experiances,
Improvises himself with each cre... read more
अपनी बुराई को रोकेगा कौन,
सपने हैं तेरे तो देखेगा कौन,
सपना कभी भी अकेला नई आता,
सोते में देखो तो ये गुम जाता है,,,
सपना जो देखो तो सपने को जीने का ख्वाब भी देखो,
अन्दर कि अपने तुम आग भी देखो,
जीवन कि धुन का तुम राग भी देखो,
अन्दर समन्दर है, उसमें है ताकत,
हुनर का बहता सैलाब भी देखो।
अपने उददेश्य का, लक्ष्य को पाने का माद्दा,
टशन में रहने का सक्सेस को जीने का माद्दा,
चलने का रस्ते पे पुरा ना चल पाया,
टेंशन नहीं है,
खुद से जो पहुँचोगे, मन में सन्तोष,
मिलेगा थोड़ा या पूरा या ज्यादा।
तेरा जो हो सकता उसको हथियाने का माद्दा
तुम भी किसी के सहारे कहाँ हो
चल-फिर रहे हो तो हारे कहाँ हो।
अपनी कहानी के हीरो तुम्ही हो,
शुरु किया चलना तो ज़िरो नहीं हो।।-
कन्धे को बोझ उठा कर के,
फ़ौलाद बनाते देखा है,
पथरीली आंखों से उसको,
सपनों को सजाते देखा है,
जो तुमको मैले कपड़ों में
हर वजन उठाते दिखते हैं,
उसको ही गहने गिरवी रख के,
दवा कराते देखा है।
सरकारी पन्नों में अब तक रेखा के निचे आते हैं
हाँ उन्हीं गरीबों को भारत धनवान बनाते देखा है।।
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अब तो उसकी शक्ल याद नहीं, जो गयी थी मुझे चीट कर के।
साला मुद्दत हो गये उसकी फोटो डिलिट कर के।।-
तेरी नज़रों के तीरों से तो कत्लेआम हो जाये,,
तेरी सुरत दिखे तो आंख को आराम हो जाये।
के तुम तो झूठ कहती हो, की तेरा है नहीं कोई,,
जिसे तू आंख भर देखे वो तेरे नाम हो जाये।।-
बस इक बार ख़ाब में आई, उम्र भर परेशां कर गई,
वो एक मुस्कराहट, मेरी हर ग़ज़ल को बेजुबां कर गई।।
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(गुमशुदा)
क्यों जलाते हो, सियासत की आग में लोगों को।
जहां भगवान है वहां भगवान, जहां ख़ुदा है, वहां ख़ुदा रहने दे।९।
शराफत छोड के बैठे हैं, कितने सफेदपोश।
आओ, ईश्क करें, उनको अपनी मुहब्बत से खौ़फज़दा रहने दें।१०।-
(गुमशुदा)
ईज़हार की जुर्रत भी एक दिन कर लुंगा।
मुझ में, तुझे चाहने का थोड़ा हौसला रहने दे।७।
तुझ से कुछ उम्मीद करुं, ये खता मुझ से नहीं होगी।
तु अपनी जिन्दगी से ईश्क कर, मझे तेरा हमनवां रहने दे।८।
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किस किस से पूछूं, की वो कहाँ रहते हैं।
हमें भी याद करो, कभी हम भी तन्हा रहते हैं।।।।
कहाँ पे ठौर-ठिकाना है ये पता करने,
हमने दरिआफ्त की वो जब-जब जहां-जहां रहते हैं।
हमसे कुछ इश्क़ की बातें करो तो चैन आये,
आप तो यूं ही रुसवा खामखां रहते हैं।।
वो अब खामोशियों का शोर सुन के जीते हैं,
उनके पहलू मे मेरे जैसे बेज़बाँ रहते हैं।।
जैसे जलते हैं परवाने दिये की लौ के तले,
उसकी आंखो मे हम भी वैसे ही फ़ना रहते हैं।।-
सभी परेशानियों को मैने ये बतला रखा है,,
मुझे रेशम की इक आगोश ने उलझा रखा है।।-