मैंने हक़ जताना शायद सीखा ही नहीं
आने वाला कल तो अजनबी है ही ,
मैं तो अभी को भी अपना नहीं कह सकती।
पर इसको मेरी कमज़ोरी मत समझना,
जिसका मेरा वक़्त है वही मेरी ताक़त भी है ।-
कभी-कभी
लोग सुनते हैं कि हम कह क्या रहें हैं ,
पर वो समझ नहीं पाते।-
कलम उठाई और
कोरे काग़ज़ में मैंने लिखना शुरू किया ।
फिर किसी ने ऐप में लिखना सिखाया।
अब जब भी मैं काग़ज में लिखती हूँ ,
तो में भूल जाती हूँ अक्सर काग़ज वहीं।-
मैं इश्क़ में
हीर या लैला
नहीं बनना चाहती ।
मैं सिर्फ़ मैं रहना चाहती हूँ
और तुमसे इश्क़ करना चाहती हूँ।-
नई घटनाओं के साथ
पुरानी यादें ,
ढलती जा रही हैं!
पुरानी यादों को
बचाने को
अक्सर में
अपनी किताब के पन्ने पलट लिया करती हूँ!-
बहुत मुश्किल था तुमसे दूर जाना
पर ,
दिल पे पत्थर रख के,
अपने आँसू बचा के ,
कह दिया तुम आजाद हो।
हर बार की तरह इस बार भी
मैंने अपने प्यार का कत्ल किया है।-
मरना सिर्फ जंग में मरना नहीं होता, कुछ लोग अकेलेपन से भी मरते है ।
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कभी ना कभी
जिंदगी में हमें
गलत वक़्त पे,
गलत जगह पे,
गलत उम्र में,
सही इंसान से
मोहब्बत हो जाती है।
और हम कुछ नहीं कर पाते।-
चलो इस बार दसहरा कुछ और तरीके से मनाएं
अपने अंदर के रावण को जलाएं।-
अरसा हो गया है
और मैं भूल गई हूँ
कि मैंने कहाँ से शुरू किया था
और तुमने कहाँ खत्म!
पर मैं ये भी जानती हूँ ,
मैं दिखावा करके थक चुकी हूँ।-