That tree in the school garden owes an explanation;
For being laughed at by passersbys.
It became a laughing stock,
The day two kids chose to say goodbye!
They say it was an infatuation,
Nothing about it to really last.
Well, the tree stood almost timelessly,
And the kids grew up fast!
The kids are grown adults now,
And they walk through the garden some times.
Do the 'adult-thing' of laughing at a tree with initials,
And go back to write a poem, that kinda rhymes.-
Here for the love of reading and writing!
Designe... read more
चल आ हम यूँ मिलें,
ये सही-गलत खो जाएँ ।
जल जाएँ कुछ रिवाज,
कुछ गलत सही हो जाएँ।
थोड़ी शिकायतें मैं भूलूँ,
तेरी उलझनें कम हो जाएँ।
थोड़े दस्तूर तू तोड़े,
कुछ मेरी रिहाई आसां हो जाएँ।
मैं चाँद को देखूँ मेरे खिडकी से,
होंठो पर दबी मुस्कान खिल जाएँ।
वहीं चाँद फ़िर तुझ पर चमके,
मेरा सुरूर तुझे मिल जाएँ।
हम जो थोड़े और करीब हों,
सियासत के नफ़रत जल जाएँ।
ज़मीं को उसी सियासत ने बाँटा हो चाहे,
आसमां अपना हो जाएँ।
हीर सोई हो रांझे के कंधे पर,
कुछ ऐसा मौसम हो जाएँ।
रंगरेज़ कुछ लाल छिड़के कैनवस पर,
वो शक्ल हमारा हो जाएँ।
चल आ हम यूँ मिलें,
ये सही-गलत खो जाएँ। ।
जल जाएँ कुछ रिवाज,
कुछ गलत सही हो जाएँ।।
-
ये वो लड़की है,
जो बेबाक बोलती है।
जरूरत नहीं, जज्बात नहीं,
आपको सचाई से तोलती है।
जिन किताबों को दफ़नाया गया था,
उनकी कहानियाँ खोलती है।
जो दब गई थी आवाज़ें,
उनका सच उगलती है।
जाम नहीं है सुहानी रातों का,
कड़वे शराब सी गले में चुभती है।
तुम्हें आईना दिखाने के लिए,
रोज़ कांच पर चलती है।
बेरेहम ही समझोगे तब तक,
जब तक देखा नहीं, अपनों के लिए कैसे हंसती है।
ये वो लड़की है,
जो बेबाक बोलती है!-
वो तुम्हारे इंतज़ार में टूटना, फिर जुड़ना, जारी है।
सूरज अब चढता नहीं आसमां पर, रात से लंबी यारी है।
-
कल फिर रात होगी,
खुबसूरत जुगनुओं से सजेगी।
आज कुछ ज्यादा अंधेरा है तो क्या?
कल, फिर रात होगी।।-