हरा भरा हूं सीधा भी खड़ा हूं
पर अंदर से पूरी तरह खोखला हो चुका हूं
ना जाने कितने मिलते हैं रोज़
पर एक ने भी न पुछा आज तक
कि इतने सारे हरे भरे पत्तो के पीछे
कितने गमो की दरारे छुपाते हो तुम
कैसे पूछेगा भी कोई जब न ये आकाश न ये हवाएं
मेरी बेबसी आज तक जान पाई
जिस धरती से जुड़ा हुआ हूं
बीज से लेकर वृक्ष तक के सफर से
वो भी ना आजतक मेरी वस्तिवक्ता ज्ञात कर पाई
बस यही है मेरी सच्चाई
जो मैं सबसे हर लम्हा छुपाता हूं
चुबती तो है बहुत पर ना
इस बात को लेकर
मैं कभी पछताता हूं ।।।— % &-
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जिस वृक्ष के पत्ते झड जाते हैं,
अक्सर लोग उस वृक्ष से किनारा कर जाते हैं।-
Some people just wear innocence on their face and act like they are ur well wisher and they are just for helping you & guiding you . But, in reality, they are just having a purpose of getting their benifit from you . When it's done... You become no one.
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कभी कभी अंधेरा इतना घना होता है,
कि हमें ख़ुद अपना दिया ही भुजाना पड़ जाता है।।।-
अंधेरा हमेशा अंधेरा ही रहता है,
उसे रोशनी का साथ
कुछ क्षणों के लिए ही हासिल होता है।।।-
A true man can bear anything ,
But cannot bear anything on his self respect.-
बहुत दूर है मंज़िल,
पड़ गए है कमज़ोर होंसले,
हम न इतना अब चल पाएंगे,
थे जब धावक तब दौड़ न सके,
अब दौड़ कर कौन सा मेडल ले आएंगे,
माना की डगमगा रही है ज़िन्दगी की नैया,
पर पकड़ नहीं सकते हम किसी की बैंयाँ,
क्योंकि पता है हमे हम खुद तो डूबेंगे ही,
साथ उसको भी ले न डूब जाए कंही ।।।
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उठ कर गिरना
या गिर कर उठना
तो बस एक सरल प्रकिर्या है,
दूसरो की नज़र में गिर कर भी
इंसान फिर से उठ सकता है,
पर जब एक बार इंसान
खुद की नज़रों में गिर जाए,
तो वो फिर कभी नहीं उठ पाता है।।।-
पतझड़ के पेड़ सा झड़ चुका हूँ,
हैं जान पर बेजान सा हो चुका हूँ,
जिस तरह हरियाली में आया था सबके काम,
उसी तरह पतझड़ में भी आऊँगा,
हरभरा हुआ फिर से तो ठीक,
नही तो खुद कट कर,
किसी न किसी का तो चूल्हा जलाऊँगा।।।-
गुम है पहचान हमारी अँधेरो में,
जकड़ी है ख्वाइशें खामोशियों की बेड़ियों में,
इसलिए चल रहे है इस दुनिया मे
न होकर भी इस दुनिया में,
दबाया है खुद का हुनर ,
पता नहीं था ये भी है एक मेरा हुनर,
मुस्कुराहट क्या होती है पता नहीं
मुस्कुराहट बिखेर के मुस्कुराता हूँ पर,
किसी को न अपना बनाता हूँ अब,
क्योंकि अपनो को खोने से घबराता हूँ मैं अब।।।-