मैं आशिक हुं साहब
धडकन बस उसके नाम से चल रही है
मुझसे कोई और मर्ज ना पाला जाएगा
ये इश्क की बिमारी जो चल रही है
Mei ashiq hu sahab
Dhadkan bus uske naam se chal rahi hai
Mujhse koi aur marz na pala jayega
Ye ishq ki bimari jo chal rahi hai-
तुम्हारे जाने के बाद
कुछ आबाद ना रहा
बस एक तुम याद रही
कुछ और याद ना रहा
Tumhare jane k baad
Kuch abad na raha
Bus ek tum yaad rahi
Kuch aur yaad na raha-
Dete the wo tarjih kabhi duniya jahan ki
Ab humara jikr bhi nahi unki baaton mei
Online toh rehte hai par jawab nahi aata
Shayad koi aur aa gaya unki raaton mei
देते थे वो तर्जीह कभी दुनिया जहां की
अब हमारा जिक्र भी नहीं उनकी बातों में
Online तो रहते है पर जवाब नहीं आता
शायद कोई और आ गया उनकी रातों में-
गुजरना उन रहो से जिनसे मैं गुजरा हूं
और मुझसे बेहतर हालात करना
एक बार पहन के देखो मेरा लिबास
और फिर मेरे दोस्त मुझसे बात करना
Gujarna un raho se jinse mei gujra hu
aur mujhse behtar halat karna
ek baar pehen k dekho Mera libas
aur phir mere dost mujhse baat karna-
क्या करेंगे हम उनसे तुलना खुद की
जिन्होंने हमें अपनी काया दि है
खडे रह कर कडी धुप में ताउम्र
जिन्होंने हमें ठंडी छाया दि है-
लिखना तो चाहता हूं, पर कैसे लिखूं अपने अहसास को
जब तुझे देखा था पहली बार, उस लम्हे खास को
कहां से लाऊं वो हरफ, जो बया करे मेरे आभास को
लिखना तो चाहता हूं, पर कैसे लिखूं अपने अहसास को
बहुत कुछ कहना है कैसे समझाऊं मेरे दिल की बातों को
कैसे बया करू जो काटि है तेरी यादो में उन रातों को
कैसे समझाऊं मेरी मुहब्बत मेरे अंदर के जज्बात को
लिखना तो चाहता हूं, पर कैसे लिखूं अपने अहसास को
कभी मुझे शब्द नहीं मिलते और कभी तुम नहीं मिलते
इश्क जुदा है अपना इस बाग में ऐसे फूल रोज़ नहीं खिलते
कौन समझेगा मुहब्बत मेरी और मुहब्बत की आस को
लिखना तो चाहता हूं, पर कैसे लिखूं अपने अहसास को-
तेरे जाने का गम ना होता गर तुम जाते कह कर
और तुम युं ना जाते दिल में कुछ दिन रह कर
तुमने क्या सोचा था टुट जाउंगा इस बात पर
आकर देख लो जिंदा हूं ये गम भी सह कर
Tere jane ka gam na hota gar tum jate keh kar
Aur tum yu na jate dil me kuch din reh kar
Tumne kya socha tha tut jaunga is baat par
Akar dekh lo zinda hu ye gam bhi seh kar-
मेरी आशिकी का तुम्हे अंदाजा नहीं
युं ही निकला और आशिकों का जनाज़ा नहीं
वो तो ज़माने की तौर तरकीबों का लिहाज है
तुम इसे समझो उमर का तकाज़ा नहीं
Meri aashiqui ka tumhe andaza nahi
Yu hi nikla aur aashiquo ka zanaza nahi
Wo to zamane ki taur tarkibo ka lihaz hai
Tum ise samjho umar ka takaza nahi-