कि ये नदियां सुख गई, जुगनूए टिमटिमना भूल गई करते-करते तुझसे बस एक सवाल...कि वापस तो आओगे ना... कुछ बातें हैं जो कहनी है तुमसे मगर मेरे लफ्ज तुझ तक नहीं पहुंचते, दिल रखने के लिए ही सही बस इतना बता दो वापस तो आओगे ना...
तुम्हें कभी भुला न पाएंगे, दिलों में कैद तेरी तस्वीर अब भी है... जो हमें मिल न पाए तो सिर्फ तेरा कसूर नहीं, थोड़ा ही सही पर बदकिस्मत तकदीर मेरी भी है...
टूटा है दिल ऐसे जैसे गिरा हो कांच पे पत्थर, थामे किसी ओर का हाथ और कहता मुझसे की सबर कर... मैं रह गई आजमाइश बनकर उसकी कहानियों में, और अपना बना लिया उसने किसी गैर को मुझे झूठे सपने दिखाकर...
दिल पे छाया जो तेरा सुरूर है, क्या है ये इश्क या फिर दिल का ही कोई कसूर है। चिट्ठियाँ छोड़ तो आई दर पे तेरे, फुर्सत मिले तो पढ़ लेना, और लोग चाहे कुछ भी कहे इस दिल में कुछ तो जरूर है।
दिल की ख्वाहिशें ना जाने क्यों ये दिमाग समझ नहीं पाता, मेरी खाली सी रातों को ना जाने क्यों तेरा सवेरा मिल नहीं पाता!!! जबसे गया है तू मेरा एक हिसा मुझे नहीं मिल रहा, सोचा आकर ढूंढू मैं तेरे शहर पर क्या करूं मुझे तेरा शहर मिल नहीं पाता....
एक समय था, एक समय है और एक समय आएगा... जो खोया हमने वो कभी था ही नहीं मेरा और जिसे पाउंगी वो भी धरा का धरा रह जाएगा... कहते लोग सयाने कि आज कमाएंगे तब तो कल खाएंगे इसी बेवकूफी में लोगों ने अपने आज को गवा दिया, ना हाथ आया किसी के कुछ भी पर लड़े सब जी-जान लगा कर.... अंत में जब सब हो गए राख और एक हवा के झोखे ने सब उड़ा दिया!!!