Saloni Sharma   ($aloni $harma)
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Joined 3 October 2017


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27 APR 2018 AT 9:42

Forget..
Self-respect or egoistic..??

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9 JAN 2021 AT 20:37

घुटन क्या होती है कोई जा कर पूछे उनसे,
जो हलक में दर्द दबाए न रो सके न कह सके।।

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27 DEC 2020 AT 22:55

।। रोष ।।

तुम यूंही हालातों से सवाल करते रहना,
तुम सूझ - बुझ लिए रोष में ठहरे रहना,

गिरके भी संभलने का हुनर जाना है हमने,
तुम ख़ामोशी से हमारे दलिले कहते रहना,

थके ज़रूर है हम टूट कर पर बिखरे नहीं,
तुम लाख कोशिश तोड़ने की करते रहना,

देर ही सही मगर हम सीख बेशक जाएंगे,
तुम नए उसूल अपने ईजाद करते रहना,

हम तो भले सुलझ जाएंगे वक्त के साथ,
तुम अपने रिवाजों में कहीं उलझे रहना।।

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5 DEC 2020 AT 0:36

।। सुन ए-मौला ।।
हर घड़ी हर पहर समां मिटता जा रहा है,
खाली सा है कुछ दिल में चुभता जा रहा है,

ख़ामोश पड़े है ना चाह कर भी लफ़्ज़ मेरे,
शोर में कहीं एक आवाज़ दबता जा रहा है,

थक चुकी है अब सारी की सारी कोशिशें,
ज़िमेदारियों से भी मोह उबता जा रहा है,

क्या कैसे किससे कब क्यों कहूं किसी से,
अनकही बातों से अकेले जुझता जा रहा है,

सुन ए-मौला कर भी दे रिहा इन बंदिशों से,
क्या गुनाह जो नफरतों से घेरता जा रहा है,

बेरुखी सी क्यों हो गई है तमाम अपनों से,
भीड़ से अब मन कुछ चिढ़ता जा रहा है।।

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6 NOV 2020 AT 15:40

।। अल्फ़ाज़ पढ़ लेना।।

बातें न कर सको तो याद ही कर लिया करना,
चेहरे से न सही नज़रों से ही इश्क़ किया करना,

खामोशी नहीं तो मेरे लफ़्ज़ ही समझ लेना,
बैठना न हो गर तब साथ ही चल दिया करना,

बस ख्वाब में नहीं तुम हकीकत में भी होना,
तस्वीर नहीं मेरी तो निशानीयां ही रखा करना,

कह नहीं पाते हो कुछ तो जता दिया करो ना,
दूर सही मगर सिर्फ मेरे ही होकर रहा करना,

मिलो जो मुझसे तो अपनी मेहक छोड़ जाना,
साथ न दे सको जब तो मेरे गले लगा करना,

जो न समझ पाओ कभी भी तुम मुझे तो,
कम से कम मेरे अल्फाजों को ही पढ़ा करना।।

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16 OCT 2020 AT 23:33

कभी कुछ ऐसा हुआ है..??

जैसे हलक में जां अटकी हो,
जैसे धड़कनों में सांसें फंसी हो,
दुख रहा होता दिल भी जोर का,
जैसे रूह को घुटन सी चूभती हो।।

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22 SEP 2020 AT 22:33

रूह मेरी खुद में लेकर बेजान कर गया वो,
अपनी दुनिया बता कर अंजान कर गया वो,
ठहरना तो दूर मुझे देखा तक नहीं मुड़ कर,
ज़ालिम गुनाह करके अज़ान कर गया वो।।

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18 SEP 2020 AT 11:08

।।हसीन होती।।

मेरी मौजूदगी आज भी उतनी हसीन होती,
काश पुरानी चीज़ हमेशा तुम्हें अज़ीज़ होती,

न मेरे लफ्ज़ न मैं होती तुमसे रुसवा कभी,
गर जो तेरी थोड़ी तवज्जो मुझे नसीब होती,

सलीका देखो सवाल भी तरस्कर जता रही,
बताओ चाहत के सब्र में ऐसी तमीज़ होती,

एक वक़्त तुमने ही तो वो आदतें दिलाई थी,
वरना यूंही नहीं तुमसे इतनी उम्मीद होती।।

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11 AUG 2020 AT 22:01

जिनकी उर्दू ने जहां में कोहराम कर दिया,
जिसने ज़िन्दगी स्याही के नाम कर दिया,
दफ़न हो गई आज रूह उनकी पन्नो में,
शब्दों ने जो उनकी ऐसा काम कर दिया।।

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10 AUG 2020 AT 21:19

।। बेटियाँ ।।

हम क्यों उनकी तरह प्यारे नहीं होते,
क्यों बेटियाँ आँखों के तारे नहीं होते,

क्यों लाड़ली से दुलार कम करती मइयां,
क्यों हम लड़कियां राजा बेटे नहीं होते,

मेरी भुख पे तू उतनी हैरान नहीं रहती,
क्या हम तेरे लिए एहम उतने नहीं होते,

कई बार नींद तो हमें भी नहीं आती,
लेकिन आपकी चिंता हमारे नहीं होते,

सौभाग्य से मिलती ज़रूर है बेटियाँ,
पर भाग्य इनके बेटो से भले नहीं होते,

काश बेटो सी हो पाती तक़दीर हमारी,
तो हम भी फ़िक्र को तरसते नहीं होते।।

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