सांसों का ही तो खेल है, जो जीवन भर चलता है।
बिन सांसों का ये जीवन, कब और कहां टिकता है।।-
मैं तो हाल कहूं बस अपने दिल का।
लेखन तो दर्पण है इस समाज का।
मे... read more
थोड़ी देर हो गई मुझे शायद तुम्हें समझने में।
जो लगते थे तुम मुझे मेरे अब न बसते हो कहीं इस सीने में।।-
रूठे हुओं को मना लीजिए कहीं देर न हो जाए।
कहीं जो आज है अपना कल गैर न हो जाए।।-
आसान कब रहा है यूं आजाद बन उड़ना,
आसमां में गिद्ध है कई इंतजार में इन पक्षियों के।
आजादी मिली है पर शायद कुछ को नाम की
सुरक्षित नहीं है बेटियां आज घर गांव में अपने।।-
प्रकृति के स्पर्श से लगा तू पास है।
मिलेंगे हम कभी दिल में आस है।।-
क्या तुम्हें अहसास है, उन लम्हों का
जो पल-पल हमने साथ जिए।
क्या अफसोस है तुमको भूलों का,
जिस वजह से हम थे जुदा हुए।
-
जुंबिश ए दिल अब मुमकिन नहीं।
वक्त की ठोकरों का अब संयम है।
इश्क मोहब्बत के अब पल नहीं।
निर्णय दिमाग का चलता है।।-
दूर रहकर भी इश्क कम नहीं होता,
विश्वास की डोर से बंधे रिश्ते से यूं सितम नहीं होता।
करीबी के बाद दूरियों से बेगानापन नहीं होता।
पर तुझसे यूं दूर रहकर अब विरह कम नहीं होता।।
-
मेरी तुम्हारी दास्तान ,दो पलों की तो नहीं।
वक्त नाकाफी है,तुझ संग मोहब्बत निभाने को।
एक जन्म मिला फिर चाहूं अगले जन्म भी तुझे।
फिर मांगू मन्नत तुझ संग रस्में निभाने को।।-
हर कोई अजनबी है या अपना,
क्या करूं हे ईश्वर इस उलझन को सुलझा न।।
-