वो कहानी आज भी अधूरी पड़ी है
जो तूने कहा था साथ मिल के लिखेंगे
इस आस में,आहिस्ते से वो कागज़ कलम वाली मेज
वहीं खिसका दी थी मैंने
कि तुम आओ... तो समा जल्दी ही बंध जाए
वो चाय की प्याली वहीं उल्टाई पड़ी है
वो सूखे गुलाब की कलियां भी वहीं फूलदान में रखी हैं
तुम्हारा मफलर भी तो वहीं कुर्सी पर ही रहता है
हां कभी कभी तकिया बना के सो लेती थी
तुमने कहा था .., तुम आओगे
इस आस में कभी ताला नहीं लगाया उस कमरे में
कहीं चाभी खो गई तो
हां एक मुद्दत जरूर हुई....,,धूल हटाए हुए
कि जब तुम आओ तो
परत दिखा के शिकायत कर सकूं
कि कितनी देर से आए हो,
तुम आए
पर ये क्या
तुम तो उस कमरे में गए ही नहीं
कहानियां तो बहुत सुनाई तुमने पर
हमारी कहानी का ज़िक्र कहीं नहीं आया
और वो बारिश वाला दिन
वो भी तो याद नहीं था तुमको
हालांकि वही धानी साड़ी पहनी थी मैंने
तो वो वादा ,,,कैसे ही याद होता
बात तो घंटों की तुमने,,,,पर कॉफी के साथ
तुमने चाय पीना छोड़ दिया था
और इसके साथ मैंने
वो कहानी पूरी होने की उम्मीद।-
Saloni
(Subh✒️📚📒🍀)
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Joined 4 September 2020
8 NOV 2022 AT 10:00
8 MAR 2022 AT 11:21
Each person has feminine and masculine side. Its time to balance out these energies. No woman has pure feminine side and no man has pure masculine side. Both have other traits hidden inside. Its upto them what they nurture. When every person will come into balance with those powers, no date will be required to celebrate these (women/men) days.....
Till then
HAPPY WOMEN's DAY-
6 MAR 2022 AT 10:55
शिव में मैं हूँ
शिव में तुम हो
शिवमय सारा संसार
शिव ही अपना
शिव ही सपना
शिव ही है आधार
शिव ही सोचूँ
शिव ही बाचुं
शिव बिन ना हो उद्धार
शिव को जीवन अर्पण कर दूँ
क्रोध मोह समर्पण कर दूँ
सिर्फ शुन्य बचे इस पार
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