दर्द हुआ है तो बोलेंगे ही
ज़बां पर मेरे ताला थोड़ी है
आप तो मेहमान थे मेरे दिल के
हमने आपको दिल से निकाला थोड़े है
ये जख्म तुम्हारी आखिरी निशानी है
इसे खुशी से पाला थोड़ी है
तेरी याद आई अपने आप निकलने लगे आंसू
हमने अपनी आंख में कुछ डाला थोड़ी है
अंधेरे में हमें भटकना ही है
इसके राह में उजाला थोड़ी है
हमने बिगड़ने दिया अपने हालात को
हमने अपने हालात को संभाला थोड़ी है
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खुदा की इबादत में,मैं सजदे बार-बार करता हूँ
और ऐसा कोई शक़्स ही नहीं मेरी जिंदगी में
जिसे मैं अपनी माँ से ज्यादा प्यार करता हूँ-
हम एक अजनबी को
हमसफर और दिलदार समझ बैठे
उन्होंने दोस्ती की हमसे
और हम बेवकूफ उनकी दोस्ती को प्यार समझ बैठे-
मेरे लिए अपने दिल में
वो जज़्बात गहरी मत कर l
अगर तुझे लोगों की परवाह है
तो फिर मेरी मत कर l-
सब कुछ ठीक है बाहर से अंदर का हाल न पूछ l
तुम्हें देख लेने दो ज़रा इत्मीनान से,
खुदा के लिए इतने सवाल न पूछ l
गर्मी में भी प्यास से मुंह मोड़ रखा है हमने
यार तू रामज़ान का कमाल न पूछ l
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इश्क के बाजार में
चाहे जितना खसारा हो l
अबकी बार उसका दिल मैं तोडूंगा,
बस उसे इश्क दुबारा हो l-
किसी का गम नहीं बाँट पाएंगे
किसी को खुशी नहीं दे सकते l
दुनिया से तो झूठ बताया जा सकता है
यारों खुद से तो हम,वो भी नहीं कह सकते l-
मंजिल तक पहुंची ही नहीं
मेरी चाहत आधे में रह गई l
मैं उसे लेकर कहीं दूर चला जाता
मेरी सारी कोशिश बस इरादे में रह गई l-
सहरी मुबारक हो तुम्हें,
इफ्तारी की हर शाम मुबारक हो
ऐ खुदा के बंदों,
तुम्हें खुदा का रमज़ान मुबारक हो-
हर शुरुआत की तेह में मैं हूं,
हर रिश्ता बना मुझीसे हर रिश्ते में मैं हूं,
मुझी से है ये दुनिया सारी,
इस दुनिया की हर शेह में मैं हुं,
हर रिश्ता बना मुझीसे हर रिश्ते में मैं हूं,
क्रोध भि जन्मी मुझी से,
हर किसी की स्नेह में मैं हूं,
हर रिश्ता बना मुझीसे हर रिश्ते में मैं हूं,
मुझी से हुई हैं रचना ब्रह्मांड की,
इसे नष्ट करने वाली प्रलय में मैं हूं,
हर रिश्ता बना मुझीसे हर रिश्ते में मैं हूं,-