Salimullah Khan   (सलीम नवलपुरी)
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In search of myself
Joined 15 February 2020


In search of myself
Joined 15 February 2020
29 JAN 2023 AT 12:35

सब छोड़ के वापिस अपनी जड़ों पे चले जाना,
पलट के आना और फिर हौसले से जीत जाना,
बहुत मुश्किल है बरगद के पेड़ की तरह जीना,
अपनी हर शाखों को जड़ तक ले जाना।

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27 JAN 2023 AT 15:08

हार के जीत जाते है, हर बार सिख जाते है,
रिश्ते दिमाग से नही चलते, दिल से ये जुड़ जाते है,
मेरी बात पे नाराज़ हो तो झगड़ा करो मुझसे,
यूं खामोश हो जाने से रिश्ते टूट जाते है।

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12 JAN 2023 AT 9:53

मोहब्बत की तासीर एक सी ही थी हर बार,
अंजाम अधूरा रहना किस्मत ही थी हर बार,
मुकम्मल इश्क ने ताजमहल बना दिया मगर,
अधूरा हो इश्क तो आशिक बना देता है हर बार।

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9 JAN 2023 AT 17:01

मेरी ख़ामोश आंखों को अगर तुम पढ़ नही सकते,
तुम हमसफर हो सकते हो, मगर हमनवा हो नही सकते।

एक दूजे के बिना भी लोग जिन्दा रह लेते है,
मगर इस तरह जिन्दा रहने को जिंदगी नही कहते।

मुझे अब भी मुकम्मल इश्क के ख़्वाब डराते है,
जो कलियां खिल नही पाती उन्हें कुछ भी नही कहते।

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8 JAN 2023 AT 9:48

इस सर्द सुबह में चन्द यादें मेरे बिस्तर तक चली आती है,
मेरे तकिये पे सिर रख के वो भी साथ मेरे सो जाती है,
गर्म एहसास यादों का फिर देर दोपहर तक रहता है,
शाम होते ही मैं तन्हा हो जाता हूं और फिर ठंड बहुत सताती है।

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28 DEC 2022 AT 9:32

तुम जो रख देती हो सीने पे सिर अपना मेरे,
दफ़न हो जाते है सारे दिल के रंज मेरे,
बात करना बहुत जरूरी नहीं है तुमसे,
साथ रहती हो तो ख्वाब मुकम्मल कर देती हो मेरे,
हाथ थाम के चलना और हर बात पे टोकना,
ये कुछ अदाते है जो हर बार तुम्हारा कर देती है मुझे,

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23 DEC 2022 AT 22:58

कलम खामोश थी किसी के इंतजार में,
आज मिल गया आखिर वो इसी दयार में,
बातें बहुत सी हुई मगर नज़रे मिली नही,
बाकी ही रह गया मय उसके गिलास में,
वादा, एक भरोसा और महज़ इंतजार था,
मुमकिन है फिर मिले हम इसी दयार में,
हाथों का एहसास अभी तक है मेरे हाथ में,
यूंही थाम लिया था उसने बाजार में,
कुछ दर्मियां नही है मगर कुछ तो है जरूर,
सोया नहीं हूं मैं एक पल भी इस सर्द रात में,
मिलना हुआ भी तो बस कुछ ही पल के लिए,
बाकी कसक है अब तक उस एक मुलाकात में।

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20 NOV 2022 AT 8:53

जाते हुए भी तुमने मुड़ के नही देखा,
देखा उसे बहुत था मगर जी भर नही देखा।
दोस्ती के नाम पे मशहूर हो गए,
हसरत भरी निगाह से जिसको भी था देखा।

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17 NOV 2022 AT 11:57

एक नजर का टकराना और मोहब्बत हो जाना,
पता आज चला किसी का एक नजर में हो जाना।

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28 OCT 2022 AT 9:01

हजार खुशियां बस एक लम्हा अजीब उसकी नवाजिशे है,
मोहब्बतो का दौर भी है मगर कुछ इसमें साजिशें है,
उसके कहने से रूक गया था मेरी नही कोई ख्वाहिशें है,
मैं अबकी लहज़ा सम्भाल लूंगा मुझे पता है क्या बंदिशे है।

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