salam seth   (m s seth_writes..✍)
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मै अपने घर पर वैसे ही अहम हूँ..
जैसे किसी किताब 📖 के पन्ने..👈
Joined 2 November 2018


मै अपने घर पर वैसे ही अहम हूँ..
जैसे किसी किताब 📖 के पन्ने..👈
Joined 2 November 2018
24 JAN AT 15:30

मैं तो शरीफ़ बनके रहना चाहता हूं,
पर जमाना हमें रहने नहीं देता है..

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24 JAN AT 15:28

मैं तो शरीफ़ बनके रहना चाहता हूं,
पर जमाना हमें रहने नहीं देता है..

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10 JAN 2021 AT 22:29

"वक़्त बिताने के लिए कभी रिश्ते न बनाएं,
क्योंकि हो सकता है कि कोई दूसरा शख़्स
इसके बारे में बहुत संजीदा हो"

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13 JAN 2020 AT 20:05

रास्ते वही है मुसाफिर वही है..
दिन भी वही रातें भी वही है..!!

ज़िंदगी के हर गम भी वही है..
बस कुछ भी नया नही है..!!

मगर अपने अपने मुक़ाम पर..
तुम भी नही और हम भी नही हैं..!!

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13 MAY 2021 AT 21:32


"ईद मुबारक"

अल्लाह की रहमत और बरक़त आपकी ज़िंदगी
को खुशियों से भर दे,,
कामियाबी और तरक्की तमाम दरवाजे आपके
लिए हमेशा खोल दे..

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25 APR 2021 AT 18:20

"जरूरत तोड़ देती है गरुरत के ढांचे को,,
अगर लोगों को गम नहीं होता,,
तो हर शख्स अपने आप को ख़ुदा समझता"

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24 APR 2021 AT 8:24

आज फिर तेरा ज़िक्र मेरे घर में हुई..
आज तेरे ज़िक्र से मुझे तेरी बहुत फ़िक्र हुई..

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22 APR 2021 AT 18:54

इंसान ख्वाहिश में,,
बहुत कुछ खो देता है..
इंसान ये भी भूल जाता है,,
के आधा चाँद भी खूबसूरत होता है..

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22 APR 2021 AT 18:30

"उम्मीदों" से बंधा हुआ
ज़िद्दी परिंदा है इंसान..
जो मुर्दा भी "उम्मीदों" पर
और ज़िंदा भी "उम्मीदों" से है..

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22 APR 2021 AT 14:46

तुम तो कहानी की असल किरदार हो..
मै तो उस किताब का बस एक पन्ना हूं..

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