।। सब सुख लहे तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डर ना ।।-
ना कोई आस, ना कोई बंधन
ना प्रेम की कोई रीत हो
जैसे राधा की कृष्ण से
मेरी तुम संग प्रीत हो ।
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प्रेम जो तुम अपनी निगाहों से बयां कर रहे हो
वो इन आंखों के सहारे मेरी आत्मा में जैसे धीरे धीरे बसता जा रहा है ❤️
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There's always a hope in your eyes remained for the love we've lost a long time ago ❤️
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माना कि मैं तुम्हारे साथ हूं तुम्हारी होकर
पर तुम नही हो मेरे मेरे साथ होकर भी।
माना बातें तुम मुझसे ढेर किया करते हो
पर वो बातें दिल की नहीं हैं।
माना मांगते हो तुम बहुत उस रब से
पर वो ख्वाहिश मैं नही हूं।-
क्या तुम थोड़ी देर और नही रुक सकते हो?
उसने दबी सी आवाज में कहा।
उसके इस सवाल का जवाब मैं देना तो चाहती हूं पर
मैने आंखें झुका ली।
कितना अजीब है न जब हम चाहते हैं कि घड़ी की सुई धीमी हो जाए , वक्त भागे ना।
थोड़ी देर हम और बात कर लें, उसके चेहरे को आँखों में समेट कर भर लूं ।
उसके होने के महसूस को जैसे अपने अंदर पूरी तरह बसा लें। पर ये कमबख्त समय इश्क की बेबसी नही समझता।
ये नही समझता समय के साथ ये सारे एहसास धुंधले पड़ जाते हैं ❤️-
But we were meant to be together at the end -she said by eyes filled with tears
to a person who doesn't know how to read eyes ♡
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आंखें तो जैसे तुम्हारी प्यार ही कहती हैं
पर लबों से तुम मेरे नही हो ♡
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'कौन हो तुम'
किसी पहाड़ पर
कड़कड़ाती सर्दी में
एक चाय की प्याली हो तुम।
किसी प्रेमी के द्वारा उसकी
प्रेमिका के लिए रचित
एक मधुर प्रेम गीत हो तुम।
सावन महीने में बरसने
वाली बारिश का पानी हो तुम।
पूर्णिमा की रात में खिड़की
से मेरे मुंह को स्पर्श कर पीड़ा
मिटाने वाली चांद की श्वेत ठंडी किरणें
हो तुम।
मेरे लिए प्रेम की परिभाषा हो तुम🤍
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