मैं अबला नादान नहीं हूँ, दबी हुई पहचान नहीं हूँ
मैं स्वाभिमान से जीती हूँ , रखती अंदर खुद्दारी हूँ
हूँ समाज की नींव , मैं आज की नारी हूँ...
पुरुष प्रधान इस देश में, हमने करतब दिखलाया है
पुरुषों से आगे आई, हर काम करके दिखलाया है
कमजोर ना मुझ को समझो, मैं सब पर ही भारी हूँ
हूँ समाज की नींव, मैं आज की नारी हूँ ..
मैं सीमा से हिमालय तक और खेल मैदानों तक हूँ
मैं माता, बहन और पुत्री, मैं लेखक और कवयित्री हूँ
अपनी भुजबल से जीती हूं, मैं बिजनेस लेडी, व्यापारी हूँ
हूँ समाज की नीव, मैं आधुनिक नारी हूं!!
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