Sakshi Shrivastava   (मेरा ख्याल_sakshi)
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Joined 2 June 2018


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30 DEC 2021 AT 14:06

मुश्किल सा लगता अब वो रातें होंगीं,
जब मूवी के साथ ढ़ेर सारी बातें होंगी।

मुश्किल सा लगता अब वो स्वाद मिलेगा,
आधी रात जब चाय के साथ पोहा बनेगा।

मुश्किल सा लगता अब वो पेट भरेगा,
जब छोले भटूरे के साथ ही बर्थडे मनेगा।

मुश्किल सा लगता है अब वो पागलपन होगा,
जब सबका मिलकर त्योहार पर मिलना होगा।

मुश्किल सा लगता है अब तो सब मुश्किल........

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30 DEC 2021 AT 13:07

ये साल आखिर बीत ही गया,
कुछ अनचाहे दर्द दे गया।
काफी कुछ सीखा के चला,
कुछ गहरे घाव दे के चला।

कुछ खास अपनों का साथ है छूटा।
कोई सबसे प्यारा अब मुझसे है रूठा।
कर के जतन लाख सबको मनाया।
पर फिर भी कुछ हाथ न आया।

ज़िन्दगी भर की मेहनत का ये मिला सिला।
आज मेरे साथ कोई नहीं है खड़ा मिला।
कुछ सायों का हाथ सर से उठ गया।
थोड़ी कुछ आस का दीप भी बुझ गया।

ये साल आखिर बीत ही गया,
कुछ अनचाहे दर्द दे गया।
काफी कुछ सीखा के चला,
कुछ गहरे घाव दे के चला।

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3 SEP 2021 AT 21:42

I look into his eyes for infinity
Told me to anticipate
For affection since eternity
I touched his soul first
Rather than clutter of his star dust
I failed to see his appearance
lost in fight for perseverance

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3 SEP 2021 AT 21:23

The words you gather
In this night of September
To screw up my soul
But I knew your goal

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3 SEP 2021 AT 21:16

क्यूँ रही है इतना सता,
दे दे ख़ुशियों का पता,
जहाँ कुछ पल सकूं बिता,

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2 AUG 2021 AT 19:40

Release the unspoken words ,
talking to one's own soul,
express the unexpressed feelings.

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31 JUL 2021 AT 11:09

हो सकता है.....
हो सकता है मेरे तरीके ग़लत रहे हों,
पर मेरे इरादे कभी ग़लत न थे।
हो सकता है मेरे शब्द ग़लत रहे हों,
पर मेरे जज़्बात कभी जूठे न थे।
हो सकता है मेरी सोच ग़लत रही हो,
पर मेरी नीयत कभी ग़लत न थी।
हो सकता है....

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6 FEB 2020 AT 13:59

यूँ तो बहुत मजबूत हूँ मैं ,
पर उनकी कमी आज भी रुला देती है।
यूँ तो जीना सीख गई हूँ मैं,
पर उनकी जरुरत आज भी दिखाई देती है।

यूँ तो बड़ी होने का फ़र्ज़ निभाती हूँ मैं,
पर उनका न होना आज भी खलता है।
यूँ तो सबकी ख्वाइश पूरी करती हूँ मैं,
पर मेरी ख्वाइश सुनने वाला नहीं अब
सोच कर ये दिल आज भी जलता है।

यूँ तो समेटे हूँ खुद को खुद में,
पर उनकी याद आज भी मुझे बिखेर जाती है।
यूँ तो दिखाती नहीं किसी को मैं,
पर 'पापा' की बेटी आज भी उनको चाहती है।

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5 FEB 2020 AT 14:52

बिलखते रहे वो मखमल में गाड़ी न मिलने का मलाल लिए ,
मैंने तो अक्सर नंगे पैर दौड़ते बच्चों को खिलखिलाते देखा है।

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5 FEB 2020 AT 14:34

First step is always the hardest one.
Then you can run like no one can.

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