Lafzon mai hua hai kya kabhi ishq bayan
Ye tw naino se chalakta jaam hai
Jiske anjaam se koi waaqif nahi
Ishq ki gali jo aata raha
Fir kisi aur gali ka na raha .-
वही एक ज़रिया है मेरी शायरी का
जो मेरा दिल तोड़ गया
जिसे बेइंतेहा मोहब्बत है मुझसे
शिक़वे उससे कौन से करूँ ।-
फ़िलहाल हाल ये है दिल का के
तुम्हारे ख़यालों से आगे कलम मेरी चलती नही ।-
इश्क़ पर ऐतबार करते-करते , हम थम जाते है
किसी शाम , तुम मिलने आ-जाओ
ऐतबार पर ऐतबार आ-जाए ।
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कैसा है इन्सान , हर चीज़ पर ज़ोर अपना चलाता है ।
ये दिल , कब-किस के लिये धड़के , ये भी अपने ही हक़ मे चाहता है ।-
ये जो मोहब्बत के उसूल है
मेरी सहूलियत पर उँगलियाँ बहुत उठाते है ।-
रहनेदो मत करो नुमाइशें उनकी
दिल तुड़वाया है
बखूबी जानते है , रगों को उनकी ।-
तेरा नाम इश्क़ -
फिज़ूल हो रहे है मोहब्बत मे हम
दिन-रात गुज़रे , गुज़रते नही
गुज़रता नही तेरी यादों का कारवां
मेरे हलक से जो तेरा नाम बिछड़े
तो कहीं कयामत ना जाए।
क्या ही बयाँ दूँ अपनी मोहब्बत का
एक तेरे ही नाम से तो पुकारते है , सभी मुझे ।
फिज़ूल हो रहे है , मोहब्बत मे हम।
तुम मेरे हर एहेसास मे लिपटा एक एहेसास हो
मेरी पहली मोहब्बत का एक अंदाज़ हो
मेरी करवटों का सुकूँ
और महफ़िल का जाम हो ।
तुझ से लिपट कर हस लूँ , रो लूँ
तेरी बाहों मे जो सिमटू , तो खुद को ही खो दूँ ।
ऐसे ही तो नही
फिज़ूल हो रहे है , मोहब्बत मे हम ।
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आओ पास के करीब से देख लूँ तुम्हे
इस हसीं चेहरे को , सीने के किसी कोने मे दफ़्न कर लूँ
सूरज ढ़लते ही , चली जाओगी तुम
रख लूँ तुम्हें वहाँ , जहाँ तुम ताउम्र मेरी बनकर रहो ।-