वो रात आ गई है,
देख तेरी बारात आ गई है,
मैं भी आई हु,
टूटा दिल लाई हु,
एक नजर मुझे भी देख लेना तुम,
क्यों न जल्दी ही सही,
नजरे फेर लेना तुम
देख लेना लाल आंखे मेरी
सुन लेना खामोशी में चीख मेरी,
मैं देखूंगी सामने से तेरी सारी रस्में
सुनूंगी जो फिर से दोहराएगा जो तू सारी कसमें
रोक मत मुझे आने से,
देख कैसे अपनी बर्बादी पे
फटके फोड़ूंगी ,
और पूरी हवा में धुआं धुंआ कर दूंगी,
डर मत मुझसे मेरी जान,
मैं चली जाऊंगी,
जब तुझे अपने से विदा कर दूंगी।
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याद है हमारी पहली नोक झोंक,
जब कहा था तू ने,
मेरी हमसफर बनना चाहेगी ता उम्र साथ निभाऊंगा मैंने कटाक्ष कहा था ,लोगों की फितरत बदल जाती है देर नहीं लगती,तेरा मोह भी खत्म हों जाएगा,
देख आज तूने साबित भी बड़ी आसानी से कर दिया दिया,🥰
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क्यू बार बार कोई मेरे दिल के करीब आता है,
और जैसे ही मैं उसे संभालना चाहूं ख़म्बतख मुझे ही तोड़ जाता है।।-
टूटने और बिखरने का चलन इतना आसान नहीं ग़ालिब,
सच्चे इश्क का सौदा करना पड़ता है।।
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उसने कहा था मुझसे अपने आंसुओं को छुपते हुए,
की मांग में सिंदूर चाहे भर ना सकूं, प्रेम में सुहागन तुझे बनाऊंगा,
अर्धांगिनी रहोगी प्रेम की साक्षी बन तुम मेरी, मैं अब न किसी को अपनाऊंगा।।
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सुनो,
यूं जो तुम मुझे बार बार कहते थकते नहीं थे,
तुम सिर्फ मेरी हो और मैं बस तुम्हारा,
हां कहा तो सच ही था तुमने,
बस ये कहना मैं भूल गई,
की ना मैं कल तेरी थी,
और ना ही मैं कल तेरी रहूंगी,
हां ये सच है , तू आज मेरा है, मैं आज तेरी हूं,
और यह अजीवन ही सही,
क्योंकि ,जब तू मिले, बात करे,
हर वो रोज़ तू मेरा है, हर वो रोज़ मैं तेरी हूं,
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।।नए साल, नए वादे कुछ इस कदर टूट जाएंगे,
मेहंदी लगेगी महबूब के हाथों पर, और हम देखते रह जाएंगे।।-
ख्वाइश ए मोहब्बत तेरे लिए ,यूं बयान करना आसान तो नहीं,
हम तो उस प्रेम का दरिया है, जिसको थार देना असंभव है,
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कुछ 'गहरा' सा लिखना था ,
'इश्क़ ' से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ 'ठहरा' सा लिखना था,
'दर्द' से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ 'समुद्र' सा लिखना था,
'आंखो' से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ ' किस्सों ' सा लिखना था,
'यादों' से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ 'खराब' सा लिखना था,
'अपने' से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ 'पागलपन' सा लिखना था,
'मोहब्बत' से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ 'ज़िंदगी' सा लिखना था,
'तुमसे' ज्यादा क्या लिखूं।।-